
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है जिसके चलते वातावरण में सांस लेना भी दूभर हो चुका है. वहीं 'द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी)' ने प्रदूषण के संपर्क में कम से कम आने के लिए गैर जरूरी यात्राओं से बचने की सलाह दी है. साथ ही संगठनों को अपने कर्मचारियों को रिमोट मॉडल ऑफ वर्किंग से काम करने की अनुमति देने की अपील की है.
संस्था ने माता-पिता से बच्चों के बाहर जाने के समय में कटौती करने का आग्रह किया है. दिल्ली सरकार पहले ही स्कूलों को बंद करने की घोषणा कर चुकी है. टेरी के महानिदेशक अजय माथुर ने कहा, 'दिल्ली/एनसीआर में सार्वजनिक और निजी संगठनों को चाहिए कि वे लोगों को अपने घरों से काम करने की अनुमति दें.'
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के खतरनाक स्तर के कारण अस्थमा जैसे लक्षणों की शिकायत करने वाले मरीजों की संख्या में अस्पतालों में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. बढ़ते प्रदूषण को लेकर राजनीतिक पार्टियां भी राजनीति कर रही हैं.
प्रदूषण खतरनाक स्तर पर
एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर करण मदान ने कहा कि बीते 10 दिनों में सांस की परेशानी की शिकायत करने वाले मरीजों की संख्या में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. कई इलाकों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 1200 को पार कर चुका है.
हाल ही में एक सर्वे में पाया कि दिल्ली और एनसीआर के 40 फीसदी लोग शहर को छोड़ना चाहते हैं. गौरतलब है कि ये सर्वे दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद में किया गया जिसमें 17,000 लोगों की राय ली गई. सर्वे में उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर को छोड़कर कहीं और जाना चाहेंगे.
हवा की गुणवत्ता
बताया जा रहा है दिल्ली-एनसीआर में बारिश की फुहारों के बावजूद आज हवा की गुणवत्ता बेहद खतरनाक बनी हुई है. प्रदूषण के कारण ज्यादातर इलाकों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 900 के पार पहुंच गया. यही नहीं कई इलाकों में ये आंकड़ा AQI 900 के ऊपर पहुंच गया है.
बताया जा रहा है कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के सीमाई इलाकों में पराली जलाए जाने से दिल्ली की हवा प्रदूषित बनी हुई है. पर्यावरण वैज्ञानिकों का मानना है कि यह हवा के डायरेक्शन की वजह से है, क्योंकि हवा हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों की तरफ से दिल्ली की तरफ आ रही है तो शायद उसमें पराली का धुंआ और ज्यादा है.