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यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाएगी केजरीवाल सरकार, जानें क्या है प्लान

दिल्ली के नजफगढ़ नाले में सिल्ट के इकठ्ठा होने के कारण बने गाद से जल्द छुटकारा मिल सकता है. इसके लिए केजरीवाल सरकार ने 55 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी है. सरकार के मुताबिक यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नजफगढ़ नाले का यमुना में गिरने से पहले उसे पूरी तरह ट्रीट करना बेहद जरुरी है. आइए जानते हैं क्या है केजरीवाल का प्लान.

Delhi govt to treat Najafgarh nala Delhi govt to treat Najafgarh nala
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST

दिल्ली के नजफगढ़ नाले में सिल्ट के इकठ्ठा होने के कारण बने गाद के दो बड़े टीले (हम्प) की सफाई के लिए केजरीवाल सरकार ने 55 करोड़ रूपये की परियोजना को मंजूरी दी है. इससे नजफगढ़ नाले का प्रवाह बेहतर होगा और पानी के न रुकने से मच्छरजनित बीमारियां भी नहीं पनप सकेंगी. बैठक में नजफगढ़ नाले के दोनों ओर छावला से बसईदारापुर के बीच 27 किमी सड़क बनाने की परियोजना को डिस्कशन फेज में मंजूरी दी गई. लगभग 350 करोड़ रूपये की लागत के इस प्रोजेक्ट से पंजाबी बाग, पश्चिम विहार, निलोठी, बापरोला, ककरोला, नजफगढ़, द्वारका, विकासपुरी, उत्तम नगर, जनकपुरी, छावला सहित यहां की सैकड़ों कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोगों को फायदा होगा और उन्हें ट्रैफिक से निजात मिलेगा.

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बुधवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नजफगढ़ ड्रेन की सफाई के लिए गठित उच्चाधिकारियों की कमेटी के साथ समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने नजफगढ़ नाले के प्रदूषण को ख़त्म करने के लिए बनाये गये 1-1 प्रोजेक्ट की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नजफगढ़ नाले का यमुना में गिरने से पहले उसे पूरी तरह ट्रीट करना बेहद जरुरी है. बता दें कि नजफगढ़ नाले में दिल्ली के कुल वेस्ट वाटर डिस्चार्ज का 2/3 हिस्सा जाता है. 

नजफगढ़ ड्रेन में गाद के जमा होने का कारण मिक्सड अनट्रीटेड सीवर, इंडस्ट्रीज का दूषित पानी, पशुओं का गोबर व सॉलिड वेस्ट है. वर्तमान में नजफगढ़ ड्रेन में 7.7 मिलियन क्यूबिक मीटर गाद इकठ्ठा हो गया है. बुधवार को बैठक में उसमें से 10 लाख क्यूबिक मीटर सिल्ट निकालने के लिए पहले चरण में 55 करोड़ रूपये की परियोजना को मंजूरी दी गई है. इस परियोजना के तहत नजफगढ़ ड्रेन में दो स्थानों पर बने 2 हम्प (टीलों) को साफ किया जाएगा. इससे नजफगढ़ ड्रेन में पानी का बहाव बेहतर होगा साथ ही मच्छरों का प्रकोप कम होगा, जिससे जनता को मच्छरजनित बीमारियों से राहत मिलेगी. खास बात यह है कि हम्प को हटाने के बाद पहले की तुलना में ज्यादा जल्द पानी का डिस्चार्ज यमुना में पहुंचेगा और पानी का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित होगा व जनता को बैकफ्लो की समस्या से भी राहत मिलेगी.

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नजफगढ़ ड्रेन में गिरता है 126 नालों का दूषित पानी 

नजफगढ़ ड्रेन में 9 डिपार्टमेंट्स की 126 नालों का दूषित पानी मिलता है. 126 नालों में 3 हरियाणा से आती है। हरियाणा से 36 फीसद पॉल्यूशन लोड आता है. एक बैठक में हरियाणा सरकार ने कहा है कि 1 साल अंदर या तो दूषित पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा या फिर दूषित पानी को रोक दिया जाएगा. दिल्ली में एक बूंद अनट्रीटेड पानी भी नहीं छोड़ा जाएगा. 44 फीसद गंदे पानी को ट्रीट करने के लिए डीजेबी की ओर से पहले से ही ट्रीटमेंट प्लांट्स बनाए गए हैं. दिल्ली सरकार की ओर से दूषित पानी को बेहतर तरीके से शोधित करने के लिए उन एसटीपी की भी कैपेसिटी बढ़ाई जा रही है. वहीं, अन्य 20 फीसद पॉल्यूशन लोड के लिए डीजेबी डी-सेंट्रलाइज्ड एसटीपी बना रही है और अनाधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन डाली जा रही है.

हरियाणा से आकर मिलने नजफगढ़ ड्रेन में मिलने वाले 3 नाले कुल प्रदूषण में 36% हिस्सेदार  
 
दिल्ली सरकार के मुताबिक दिल्ली में बहने वाले कुल 126 नालों में 3 नाले नजफगढ़ नाले में आकर मिलते हैं और इसकी नजफगढ़ नाले के कुल प्रदूषण में 36 फीसदी कि हिस्सेदारी होती है. जबतक हरियाणा से आने वाला केमिकल और औद्योगिक कचरा युक्त पानी बिना शोधित किए नजफगढ़ नाले में भेजा जाएगा, तबतक इस नाले की सफाई संभव नहीं हो पाएगी. इन नालों में बसईदारापुर नाला, धरमपुर नाला व पालम विहार नाला शामिल है. यमुना को साफ़ करने कि दिशा में हरियाणा से आने वाले इन तीन नालों के पानी का ट्रीट होना बेहद जरुरी है. 

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नजफगढ़ नाले में गिरने वाले 52 ऐसे छोटे नाले है जो कुल प्रदूषण में 20% की भागीदार रखते हैं. दिल्ली जल बोर्ड इसके लिए बड़ी संख्या में डी-सेंट्रलाइज्ड एसटीपी का निर्माण करवा रही है जिसके माध्यम से इन नालों को नजफगढ़ नाले में मिलने से पहले उनके पानी को पूरी तरह ट्रीट किया जा सके. ये नाले अपने साथ मूलतः विभिन्न अनधिकृत कॉलोनियों के अपशिष्ट को ढोते हैं. दिल्ली सरकार इसे रोकने के लिए दिल्ली भर कि अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन डलवाने का काम कर रही है और दिल्लीभर के सीवर नेटवर्क को इम्प्रूव कर रही है. इसके लिए अगले साल के अंत तक सभी अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन डालने का टारगेट रखा गया है.

नजफगढ़ नाले को साफ़ करने का क्या है केजरीवाल सरकार का प्लान 

1. ढांसा से द्वारका के बीच नजफगढ़ नाले की लम्बाई लगभग 22 किमी है और इसमें 31 अन्य छोटे-बड़े नाले आकर गिरते हैं. इसमें हरियाणा से आने वाले 3 नाले भी शामिल है जो कुल प्रदूषण में 36% के हिस्सेदार है.  22 किमी के इस क्षेत्र में दिल्ली जलबोर्ड 10 डी-सेंट्रलाइज्ड एसटीपी का निर्माण करेगी.

2. द्वारका से पालम के बीच नजफगढ़ नाले का लगभग 1.5 किमी का बहाव है जिसमें विभिन्न इलाकों से निकलने वाले 4 नाले आकर मिलते है. जलबोर्ड यहां अपने द्वारका एसटीपी के माध्यम से 2 नालों के पानी को ट्रीट करती है साथ ही अन्य बचे 2 नालों के लिए जलबोर्ड जल्द ही यहां 1 डी-सेंट्रलाइज्ड एसटीपी का निर्माण करेगा. 

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3. पालम से ज़खीरा के बीच लगभग 26 किमी लम्बाई में नजफगढ़ नाले का बहाव है और इस बीच यहां 39 अन्य छोटे-बड़े नाले आकर मिलते है. यहां मौजूद निलोठी एसटीपी में 20 नालों के पानी को ट्रीट किया जाता है. साथ ही दिल्ली जलबोर्ड का प्लान नजफगढ़ और द्वारका एसटीपी के माध्यम से 2 नालों, सीवर नेटवर्क के माध्यम से 13 नालों को निलोठी एसटीपी से जोड़ने और ट्रीट करने का है. बता दें, यहां मौजूद 2 नालों के पानी को ट्रीट करने के लिए डीडीए द्वारा भी एक डी-सेंट्रलाइज्ड एसटीपी का निर्माण प्रस्तावित है.

4. ज़खीरा से ट्रांसपोर्ट नगर के बीच नजफगढ़ नाले कि कुल लम्बाई 8 किमी से ज्यादा है और इस बीच यहां 46 विभिन्न नाले आकर मिलते है. इनमें से 17 नाले सूखे हैं. यहां 7 नालों को रिठाला एसटीपी व 3 नालों को कोरोनेशन पिलर एसटीपी में ट्रीट किया जाता है. दिल्ली जलबोर्ड का प्लान अपने एसटीपी को अपग्रेड करने के साथ सीवर लाइन के माध्यम से 5 नालों को रिठाला एसटीपी में ट्रीट करने व 13 नालों को कोरोनेशन पिलर एसटीपी में ट्रीट करने का है.

5. ट्रांसपोर्ट नगर से यमुना में गिरने से पहले नजफगढ़ नाले की कुल लम्बाई आधा किलोमीटर से भी कम है. यहां एक अन्य नाला आकर नजफगढ़ नाले में मिलता है. दिल्ली जलबोर्ड सप्लीमेंट्री ड्रेन को भी साफ़ करने का काम करेगी. 

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नजफगढ़ नाले के दोनों ओर छावला से बसईदारापुर के बीच 27 किमी सड़क बनवाएगी केजरीवाल सरकार 

बैठक में निर्णय लिया गया कि नजफगढ़ नाले के दोनों ओर छावला से बसईदारापुर के बीच 27 किमी सड़क का निर्माण किया जाएगा. इसमें लगभग 350 करोड़ रूपये कि लागत आएगी. इस सड़क के निर्माण के पश्चात पंजाबी बाग़, पश्चिम विहार, निलोठी, बापरोला, ककरोला, नजफगढ़, द्वारका, विकासपुरी, उत्तम नगर, जनकपुरी, छावला सहित यहां की सैकड़ों कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोगों को फायदा होगा और उन्हें ट्रैफिक से निजात मिलेगा.

27 किमी का यह प्रस्तावित रोड बसईदारापुर में इनर-रिंग रोड, केशवपुर में आउटर रिंग रोड, विकासपुरी में पंखा रोड, ककरोला में नजफगढ़ रोड तथा द्वारका एक्सप्रेस-वे व एअरपोर्ट जाने के लिए कई महत्वपूर्ण सड़कों से लिंक होगा. इससे दिल्ली तथा एनसीआर के लाखों लोगों को फायदा मिलेगा.

बता दे कि 27 किमी कि इस सड़क के साथ यहां पैदल चलने वालों के लिए शानदार ट्रैक व साइकिल ट्रैक का निर्माण भी किया जायेगा. सड़क के दोनों ओर हरियाली का भी ध्यान रखा जायेगा और विभिन्न किस्म के पेड़-पौधे लगाये जाएंगे.
 
57 किमी लम्बा है नजफगढ़ ड्रेन 

बता दें कि नजफगढ़ नाला दरअसल साहिबी नदी है. राजधानी में पिछले कुछ दशकों के दौरान साहिबी नदी की पहचान नजफगढ़ नाले के तौर पर हो गई है. साहिबी नदी राजस्थान से शुरू होकर नजफगढ़ से होते हुए सीधे यमुना में जाती थी. अब केजरीवाल सरकार ने इस नाले को वापस साहिबी नदी के तौर पर पहचान दिलाने के प्रयास शुरू किए हैं. ढांसा से यमुना में प्रवेश करने वाली नजफगढ़ ड्रेन करीब 57 किमी लंबी है. इसमें ढांसा से छावला तक 18 किलो मीटर का ग्रामीण स्ट्रेच है, इसके बाद ये अर्बन स्ट्रेच में पहुंचती है.

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