
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल के बाहर सरेंडर करने वालों की लंबी कतार लगी हुई है. दरअसल जब देश में कोरोना वायरस अपने चरम पर था तो कैदियों को पेरोल पर बाहर भेज दिया गया था. लेकिन हाल ही में अदालत ने अंतरिम जमानत पर बाहर गए कैदियों को वापस आकर सरेंडर करने के लिए 15 दिन का समय दिया था. SC के आदेश के मुताबिक लोगों के सरेंडर करने के लिए जो डेडलाइन दी गई है, वो कल यानी 8 अप्रैल को खत्म हो रही है.
ऐसे में तिहाड़ जेल के बाहर सरेंडर करने के लिए कैदियों की लंबी लाइन लग गई है. ये वो लोग हैं जिन्हें कोरोना काल में पेरोल मिली थी, तो कुछ ऐसे थे जिन्हें अंतरिम जमानत मिली थी. तिहाड़ जेल में बंद लेकिन पैरोल पर बाहर आए मोहम्मद फैजल ने बताया कि उस पर 307 यानी हत्या की कोशिश का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वो जेल में हाजिर होने आया है. फैजल को पेरोल मिले 3 साल हो गए थे.
जेल के बाहर लगी लंबी कतारें
वहीं एक अन्य कैदी मोहम्मद नईम भी 307 का आरोपी है. वो भी शुक्रवार को सरेंडर करने के लिए तिहाड़ जेल पहुंचा. नईम को भी कोरोना के दौरान पेरोल मिली थी. इसके अलावा रवि मर्डर केस का आरोपी रवि भी पेरोल पर बाहर था, अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया तो ये भी तिहाड़ के बाहर लाइन लगाकर सरेंडर करने के लिए खड़ा है.
अब तक सिर्फ 305 कैदी ही वापस लौटे
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोविड 19 के दौरान पैरोल पर रिहा हुए सभी कैदियों को 15 दिन में सरेंडर करने का आदेश दिया था. जेल के एक अधिकारी के मुताबिक अभी तक सिर्फ 305 कैदी ही वापस लौटे हैं. इनमें से 146 कैदी अंडरट्रायल वाले हैं जबकि 159 दोषी करार दिए जा चुके कैदी हैं.
अदालत ने जारी किया था सरेंडर करने का आदेश
जस्टिस एमआर शाह और सी टी रविकुमार की पीठ की अगुवाई वाली बेंच ने 24 मार्च 2023 को कहा था कि उन सभी विचाराधीन कैदियों और दोषियों को जिन्हें अदालत द्वारा पारित आदेशों के उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों के अनुसार आपातकालीन पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था, उन्हें 15 दिनों के भीतर संबंधित जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा.
अदालत ने फैसले में यह भी रियायत दी थी कि सरेंडर के बाद भी विचाराधीन कैदी अदालत के सामने जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं और उनके आवेदनों पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा.
कितने कैदियों को किया गया था रिहा
गौरतलब है कि साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक जेल के कैदियों को दो बार में रिहा किया गया. पहली खेप में फरवरी 2020 में कोविड मामलों की बढ़ती आशंका के बीच दिल्ली की तीन जेलों (रोहिणी, मंडोली और तिहाड़) से करीब 6000 लोगों को रिहा किया गया था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी हाई पॉवर कमेटी ने 6000 से अधिक कैदियों को अंतरिम जमानत या आपातकालीन पैरोल पर रिहा किया गया था. इसके बाद इन 6000 लोगों को फरवरी-मार्च 2021 तक सरेंडर करने के लिए कहा गया था, लेकिन करीब 2,400 कैदियों ने सरेंडर नहीं किया था.
जिसके बाद उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया था. इसके बाद सभी के नाम दिल्ली पुलिस के साथ साझा किए गए और दिल्ली पुलिस ने भी भगोड़ों को पकड़ने के लिए अलग-अलग टीम का गठन किया था जिस पर लगातर कारवाई कर भगोड़ों की धरपकड़ कर गिरफ्तारियां की जा रही हैं.
तिहाड़ से रिहा हुए 4683 कैदियों
हालांकि देश में जब कोविड अपने चरम पर था तो सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2020 में तिहाड़ जेल के कुछ और कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया. फिर हाई पॉवर कमेटी की सिफारिश पर 4,683 कैदियों को अंतरिम जमानत या आपातकालीन पैरोल पर रिहा किया गया था. इनमें से 1184 कैदी दोषी थे और 3499 विचाराधीन कैदी थे जिन्हें कि रिहा किया गया था. इस बार जो कैदी सुप्रीम कोर्ट में सरेंडर के लिए लाइन में लगे हुए हैं वो इन्हीं 4683 में से थे.
(लवली बख्शी के इनपुट के साथ)