
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा द्वारा सरकारी बंगला खाली करने के राज्यसभा सचिवालय के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुनवाई की.
राज्यसभा सचिवालय के वकील ने दलील दी कि आवास और भत्ते का आवंटन नियमों के मुताबिक किया गया है. वकील ने कोर्ट को बताया कि समिति के अध्यक्ष ने पहले राघव चड्ढा को उनकी पात्रता से बाहर एक बंगला आवंटित किया था, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया.
वकील ने कहा कि राज्यसभा सांसद होने के नाते चड्ढा को टाइप 6 बंगला आवंटित करने का अधिकार है, न कि टाइप 7 बंगला. राघव चड्ढा के वकील ने कहा कि बंगले का आवंटन बिना कोई कारण बताए रद्द कर दिया गया, यह सीधे तौर पर परेशान करने के लिए किया गया.
वकील ने तर्क दिया कि एक बार जब बंगला आधिकारिक तौर पर किसी सांसद को आवंटित कर दिया जाता है, तो उसे उस आवंटन को बचाने का अधिकार होता है. इस मामले में अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी.
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को पिछले दिनों राज्यसभा से सस्पेंड कर दिया गया. चड्ढा विशेषाधिकार समिति का फैसला आने तक राज्यसभा से निलंबित रहेंगे. राघव पर मिसविहेव का आरोप लगा है.
पांच सांसदों का दावा है कि दिल्ली सेवा विधेयक को उनकी सहमति के बिना सेलेक्ट कमेटी को भेजने के प्रस्ताव पर उनके नाम का उल्लेख किया गया था. यह प्रस्ताव AAP सांसद राघव चड्ढा ने पेश किया था. विरोध दर्ज कराने वाले तीन भाजपा सांसद हैं, एक बीजद से हैं और अन्नाद्रमुक सांसद भी शामिल हैं. इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जांच की मांग की थी.
बता दें कि इन पांचों सांसदों में सस्मित पात्रा (BJD), नरहरि अमीन (BJP), सुधांशु त्रिवेदी (BJP), नागालैंड से सांसद फांगनोन कोन्याक (BJP) और लोकसभा के पूर्व उपसभापति थंबीदुरई शामिल हैं. थंबीदुरई अन्नाद्रमुक सांसद हैं.