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संसद सत्र समाप्त होने के बाद होगी राहुल की ताजपोशी?

यूपी में ऐतिहासिक हार, उत्तराखंड में भी हौसले पस्त और गोवा-मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार न बना पाने वाली कांग्रेस के लिए यह मुश्किल वक्त है. चुनाव नतीजों के पार्टी में बदलाव के लिए आवाजें भी उठ रही हैं और राहुल के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े हुए हैं. ऐसे में पार्टी आलाकमान ने तय किया है कि भविष्य के लिहाज से जो जरूरी फैसले लेने हैं वो 12 अप्रैल को खत्म हो रहे संसद सत्र के बाद लिए जाएंगे.

फाइल फोटो फाइल फोटो
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 8:48 PM IST

यूपी में ऐतिहासिक हार, उत्तराखंड में भी हौसले पस्त और गोवा-मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार न बना पाने वाली कांग्रेस के लिए यह मुश्किल वक्त है. चुनाव नतीजों के पार्टी में बदलाव के लिए आवाजें भी उठ रही हैं और राहुल के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े हुए हैं. ऐसे में पार्टी आलाकमान ने तय किया है कि भविष्य के लिहाज से जो जरूरी फैसले लेने हैं वो 12 अप्रैल को खत्म हो रहे संसद सत्र के बाद लिए जाएंगे.

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पार्टी की परेशानी ये भी है कि देशभर में नेता पार्टी छोड़ रहे हैं या फिर अपने बयानों से पार्टी को निशाने पर ले रहे हैं. वरिष्ठ नेता एस. एम. कृष्णा इसका ताजा उदाहरण हैं. वहीं पार्टी के सीनियर नेता सी. के. जाफर शरीफ़ अब पीएम मोदी की तारीफ कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी नेतृत्व का परेशान होना लाजमी है. वैसे पार्टी ये मान चुकी है कि उत्तराखंड में तमाम विधायकों का चुनाव से पहले बीजेपी में जाना और जीत जाना, चिंता का विषय है. इस विषय पर पार्टी फोरम में चर्चा होगी.

दिक्कत ये है कि पार्टी इस वक़्त मुश्किल हालात में है. राहुल अपनी पार्टी और जनता पर छाप नहीं छोड़ पाए हैं. ऐसे में बदलाव और राहुल की ताजपोशी कब की जाए, इसको लेकर असमंजस है. डर है कि कहीं हालात और ना बिगड़ जाएं हालांकि पार्टी के दिग्विजय सिंह समेत तमाम सीनियर मानते हैं कि इस सब की चिंता छोड़ बदलाव तुरंत हों, राहुल सर्वेसर्वा बनकर अपनी टीम बनाकर आगे बढ़ें. ऐसे चीजें लटकाकर रखने से सिर्फ नुकसान ही होगा.

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वैसे सभी जानते हैं कि कांग्रेस का जो भी हो लेकिन ये तय है कि वही पार्टी की कमान संभालेंगे. ऐसे में अब नेताओं का एक तबका सोनिया गांधी से देरी ना करने गुज़ारिश करने की तैयारी में है. शायद सोनिया भी इसी इंतज़ार में हैं कि तमाम दिग्गज खुद उनसे बदलाव और राहुल की ताजपोशी करने का अनुरोध करें. जिससे भविष्य में राहुल के खिलाफ कोई आवाज़ ना उठे.

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