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दिल्ली के राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में फ्री वाई-फाई सेवा शुरू

दुनियाभर में रेल इंजनों और रेलवे इतिहास के लिए मशहूर राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मुफ्त वाई-फाई सेवा की शुरुआत कर दी है. रेल संग्रहालय में फ्री वाई-फाई सेवा गूगल के तकनीकी सहयोग से रेलवे पीएसयू रेलटेल ने शुरू की है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

दुनियाभर में रेल इंजनों और रेलवे इतिहास के लिए मशहूर राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मुफ्त वाई-फाई सेवा की शुरुआत कर दी है. रेल संग्रहालय में फ्री वाई-फाई सेवा गूगल के तकनीकी सहयोग से रेलवे पीएसयू रेलटेल ने शुरू की है. राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में उपलब्ध कराई गई तीव्र गति आधारित निःशुल्क वाई-फाई सुविधा की चर्चा करते हुए सुरेश प्रभु ने कहा कि यह सुविधा इस रेल संग्रहालय में आगंतुकों की संख्या को बढ़ाने में मदद करेगी.

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रेलटेल के सीएमडी आरके बहुगुणा ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पांच अन्य पर्यटक स्थलों (लाल किला, हुमायुं का मकबरा, सफदरजंग मकबरा, कुतुब मीनार और राजपथ लॉन) पर नि:शुल्क वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में उनकी कंपनी कार्य कर रही है. इन सभी पर्यटक स्थलों की देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा की जाती है. रेलटेल निगम भारतीय रेलवे के अंतर्गत कार्यरत स्वायत्त संस्था है, जिसे मिनी रत्न संस्थान का दर्जा प्राप्त है.

रेल संग्रहालय में फ्री वाई-फाई सेवा शुरू करने के मौके पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 'इंडियन रेलवे- द वैविंग ऑफ ए नेशनल टैपेस्ट्री' नाम की पुस्तक का विमोचन भी किया. इस पुस्तक को संयुक्त रूप से बिबेक देबरॉय (सदस्य, नीति आयोग), संजय चड्ढा (संयुक्त सचिव, वाणिज्य मंत्रालय) और विद्याकृष्णमूर्ति ने लिखा है.

इस अवसर पर रेल मंत्री ने कहा कि बिबेक देबरॉय एवं उनके साथियों द्वारा लिखी पुस्तक का विमोचन करना मेरे लिए वास्तव में एक सम्मान है. बिबेक देबरॉय द्वारा लिखित यह पुस्तक भारतीय रेलवे के लिए बड़ा योगदान है. हम इस पुस्तक के जरिए इतिहास को जोड़कर भारतीय रेलवे के बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं. किसी भी संगठन की रुचि को अनदेखा नहीं किया जा सकता. हम संगठन को फिर से पुनर्जीवित करने और उसमें ऊर्जा का संचार करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं. हम रेलवे को एक दक्ष, अत्याधुनिक एवं तकनीक आधारित संगठन बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं. ऐसे में हमें, एक ही समय पर कई कदम एकसाथ उठाने की जरूरत है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, मानव संसाधन, पर्यावरण, वित्त, तकनीक उन्नयन आदि तमाम मुद्दों पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है. इतिहास से सीखना और भविष्य का निर्माण करना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. यह पुस्तक महत्वपूर्ण दिशा में भारतीय रेलवे की तमाम यादों को जोड़ने का काम करेगी.

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इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय ने कहा कि इस पुस्तक में वर्ष 1830 से 1947 तक की तमाम बातें हैं. यह पुस्तक कहानी शैली में लिखी गई है. यह पुस्तक भारतीय रेलवे के इतिहास की छोटी-छोटी घटनाओं का विस्तार से वर्णन करती है. इस पुस्तक के आवरण पृष्ठ पर भाप वाला लोको इंजन है, जिसे राजपुताना मालवा क्षेत्र में मीटर गेज के लिए इस्तेमाल किया गया था. पाठक इस पुस्तक को पढ़ने से खुशी की अनुभूति कर सकते हैं. इस पुस्तक में भारतीय रेलवे के कुछ छिपे हुए पहलुओं को भी क्रमानुसार बताया गया है. ये वे पहलु हैं जिनके बारे में अब तक आम जनता को जानकारी नहीं थी.

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