
केंद्र सरकार ने हाल ही में वैक्सीनेशन को लेकर दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा था कि जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, उन लोगों को 3 महीने तक कोरोना का टीका नहीं लगेगा. लेकिन सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन होता हुआ नजर नहीं आ रहा है. हो भी कैसे? सरकार की कोविन (Co-Win) ऐप पर इसको अमल में लाने का कोई तरीका ही नहीं है. जबकि कोरोना टेस्ट कराने के लिए आधार कार्ड दिया जाता है और इससे आपका नाम सरकारी लिस्ट में आ जाता है. इससे पता चलता है कि किसी व्यक्ति को कब कोरोना हुआ और कब रिपोर्ट नेगेटिव आई. इसके बावजूद आधार कार्ड के जरिए वैक्सीनेशन का रजिस्ट्रेशन भी हो रहा है और लोग वैक्सीनेशन भी लगवा रहे हैं.
दिल्ली के यमुना विहार में रहने वाले 42 साल मोहन शर्मा को 4 अप्रैल को कोरोना हुआ था. रिकवरी में 16 दिन लग गए, परिवार में 72 साल के बुजुर्ग पिता हैं और तीन बच्चे भी. ऐसे में मोहन शर्मा ने कोरोना से ठीक होने के बाद 7 मई को परिवार सहित वैक्सीन लगा ली. वे बताते हैं कि सरकार की तरफ से कोई भी गाइडलाइंस तब तक सामने नहीं आई थी. मोहन शर्मा ने कोवैक्सीन की डोज ली थी और अब उनके 3 हफ्ते भी पूरे हो चुके हैं. अगले हफ्ते उनको दूसरी डोज दी जानी है. जिसके लिए उन्होंने अभी से रजिस्ट्रेशन करा दिया है.
मोहन शर्मा की तरह ही प्रीत विहार में रहने वाले 48 साल के विनीत गुप्ता और उनकी 73 साल की मां को भी 15 अप्रैल को कोरोना हो गया था. 3 मई को दोनों रिकवर हो गए. जिसके बाद विनीत ने अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए अपनी और अपनी मां का कोविन (Co-Win) ऐप के जरिए रजिस्ट्रेशन करवाया और वैक्सीन लगवाई. विनीत बताते हैं कि 14 अप्रैल को जब उन्होंने कोरोना टेस्ट कराया था, उस वक्त आधार कार्ड का नंबर भी दर्ज कराया था. वैक्सीनेशन के लिए रजिस्टर कराते हुए भी आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया था. इसके बावजूद उनका रजिस्ट्रेशन नहीं रुका. इतना ही नहीं वैक्सीनेशन सेंटर पर भी किसी ने उनसे कोरोना होने के बारे में पूछताछ नहीं की.
और पढ़ें- राहुल पर बीजेपी का पलटवार, जावड़ेकर बोले- साल के अंत तक पूरा हो जाएगा वैक्सीनेशन
दरसल NEGVAC की तरफ से कुछ दिनों पहले कोरोना वैक्सीन लगाने को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय को सुझाव दिए गए थे. जिसको स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूरी दी है. NEGVAC की तरफ से दिए गए सुझाव में यह कहा गया था कि कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों को तीन महीने के बाद ही वैक्सीन की डोज दी जाए. एक्सपर्ट्स की मानें तो कोरोना से रिकवर हुए मरीजों के शरीर में 3 महीने तक एंटीबॉडीज रहती हैं, इसलिए उनको वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है.
हालांकि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें हाल ही में कोरोना से रिकवर हुए लोग वैक्सीन ले रहे हैं. सरकार के पास इस गाइडलाइंस का पालन कराने के लिए कोई तरीका नजर नहीं आ रहा है. वह भी तब जब कई राज्य वैक्सीन की कमी से जूझ रहे हैं.
दिल्ली के गांधीनगर इलाके में वैक्सीनेशन सेंटर पर काम करने वाले नोडल अफसर ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि ऐप में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके जरिए यह पता चले कि कोरोना से रिकवर हुए व्यक्ति कब अपना टीका लगवा रहे हैं. जबकि कोरोना का टीका लगवाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है और उसी आधार कार्ड द्वारा कोरोना का टेस्ट भी कराते हैं.
वहीं ग्रेटर कैलाश के RWA सदस्य राजीव ककड़िया ने कहा कि कंफ्यूजन यह है कि कोविड से ठीक होने के कितने दिनों बाद वैक्सीन लेनी है. क्योंकि पहले लक्षण का डेट ही लोगों को समझ में आता है. रिकवर होने में अलग अलग मरीजों को अलग अलग समय लग रहा है. उदाहरण के तौर पर मुझमें नौ दिनों के बाद कोरोना का कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहा था. जबकि मेरी पत्नी को 18वें दिन भी फीवर आ रहा था. सरकार रिकवर पेशेंट का टेस्ट नहीं कर रही है ऐसे में यह समझना मुश्किल है कि टीका लगाने का सही समय क्या होगा?