Advertisement

रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए पूरा फंड न देने पर दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस आदेश पर पूरी तरह से अमल सुनिश्चित होना चाहिए. आंशिक भुगतान का कोई औचित्य बनता नहीं है. कोर्ट ने टिप्पणी की कि दिक़्क़त ये है कि कोर्ट को दिल्ली सरकार पर उस बकाया रकम के भुगतान के लिए दवाब बनाना पड़ रहा है. लेकिन ये सरकार की जिम्मेदारी बनती है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार
संजय शर्मा/कनु सारदा
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो रीजनल रैपिड रेल प्रोजेक्ट (RRTS प्रोजेक्ट) के लिए अपने हिस्से का धन देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूरी तरह अमल सुनिश्चित करें. कोर्ट को आज जानकारी दी गई कि दिल्ली सरकार के पास बकाया रकम का आंशिक भुगतान हो पाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस आदेश पर पूरी तरह से अमल सुनिश्चित होना चाहिए. आंशिक भुगतान का कोई औचित्य बनता नहीं है. कोर्ट ने टिप्पणी की कि दिक्कत ये है कि कोर्ट को दिल्ली सरकार पर उस बकाया रकम के भुगतान के लिए दवाब बनाना पड़ रहा है. लेकिन ये सरकार की जिम्मेदारी बनती है.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अपने हिस्से का पूरा  भुगतान करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 7 दिसंबर के लिए टाल दी. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने एक बार फिर दिल्ली सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आप विज्ञापन के लिए बजट में पांच अरब रुपये का प्रावधान कर सकते हैं. लेकिन इस परियोजना के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान नहीं कर सकते.

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, पीठ को बताया गया कि दिल्ली सरकार ने उस राशि का केवल एक हिस्सा ही जारी किया है, जिसे हस्तांतरित करने का निर्देश दिया गया था.

मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक के वरिष्ठ वकील एएनएस नाडकर्णी ने कहा, "पिछले आदेश में स्पष्ट था कि यदि फंड ट्रांसफर नहीं किया जाता है, तो आदेश लागू हो जाएगा. आज तक भी फंड ट्रांसफर नहीं किया गया है..

Advertisement

इस पर जस्टिस कौल ने दिल्ली सरकार से पूछा, "क्या आपने फंड ट्रांसफर किया है या नहीं? आपके अनुरोध पर, हमने इस अदालत को दिए गए आश्वासन का पालन करने के लिए आदेश को एक सप्ताह के लिए स्थगित रखा है. अब हमें वह दस्तावेज़ दिखाएं जो अनुपालन दर्शाता है."

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने पीठ से कहा, ''415 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये गये हैं.''

पीठ ने अपने संक्षिप्त आदेश में कहा, “दिल्ली सरकार के वकील का कहना है कि मंजूरी आदेश के अनुसार 415 करोड़ रुपये की राशि, लेकिन इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के खाते में जमा नहीं किया गया होगा. हालांकि, मंजूरी आदेश में ही कहा गया है कि यह आंशिक अनुपालन में है. आंशिक अनुपालन का कोई सवाल ही नहीं हो सकता."

न्यायमूर्ति कौल ने आगे कहा, "समस्या यह है कि आपको उस पैसे का भुगतान करने के लिए हाथ-पांव मारने पड़ेंगे, जिसका भुगतान आप करना चाहते हैं. आप विज्ञापन के लिए बजटीय प्रावधान कर सकते हैं, लेकिन आप बुनियादी ढांचे की परियोजना के लिए प्रावधान नहीं कर सकते. आप चाहते हैं कि सभी फंड आपके पास आएं." पर्यावरण निधि से अलग किया जाए और अलग से बजटीय प्रावधान न किया जाए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement