
पहले से ही कई मुद्दों पर घिरी केजरीवाल सराकर के लिए मुश्किलें कम नहीं हो रही है. अब शराब के लाइसेंस को लेकर केजरीवाल सरकार पर लगातार हमले हो रहे हैं. आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ है कि केजरीवाल सरकार हर दूसरे दिन शराब का लाइसेंस दे रही है.
आरटीआई की मानें तो सरकार खुद मान रही है उसने डेढ़ साल में कई लाइसेंस बांटें. दरअसल ये आरटीआई बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना ने डाला था, जिसमें ये पूछा गया था कि आखिरकार केजरीवाल सरकार ने 15 फरवरी 2015 से 5 जुलाई 2016 तक कितनी दुकानों को शराब के नए लाइसेंस दिए. साथ ही ये भी पूछा गया कि दिल्ली में कितने रेस्टोरेंट को बार के लिए लाइसेंस दिए गए, जिसके बाद जवाब में पता चला कि पिछले डेढ़ साल में केजरीवाल सरकार ने 72 दुकानों को शराब का लाइसेंस दिया, वहीं 217 रेस्टोरेंट को बार लाइसेंस दिया यानी 289 के करीब शराब के लाइसेंस बांट गए.
दिल्ली से बाहर सीमित है AAP का नशा विरोध
हरीश खुराना का आरोप है कि सरकार ने पिछले डेढ़ साल में दिल्ली मे शराब की बिक्री खुद बढ़ाई है, जबकि राजनीतिक तौर पर खुद केजरीवाल नशे का विरोध करते रहे हैं. ऐसे में साफ है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी का नशा विरोध सिर्फ दिल्ली के बॉर्डर के बाहर तक ही सीमित है. यानी पंजाब में नशे को मुद्दा बनाने के पीछे की मंशा सिर्फ सियासी फायदा हासिल करना है.
सरकार की शराब नीति पर उठ रहे सवाल
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि 'आप' की सत्ता में हर दूसरे रोज दिल्ली में शराब की नई दुकानें खुली है तो रेस्टोरेंट को बार का लाइसेंस दिए हैं. इससे लोग तेजी से नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं. इससे पहले योगेंद्र यादव की अगुवाई वाले स्वराज अभियान ने भी दिल्ली सरकार पर शराब की दुकानें बढ़ाने का आरोप लगाया था. यही नहीं, सरकार की शराब नीति के हवाले से केजरीवाल पर नशे को लेकर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगया गया था.