Advertisement

हिप सर्जरी में सफदरजंग ने हासिल किया नया मुकाम

सफदरजंग अस्पताल के सेंटर इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओर्थोपेडिक्स के डॉक्टर्स ने दीपक के कुल्हों की सिनोविअल मेम्ब्रेन में कुछ गांठे देखी और उसके ऑपरेशन की ठानी.

सफदर जंग अस्पताल को मिली सफलता सफदर जंग अस्पताल को मिली सफलता
प्रियंका सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 3:55 PM IST

मेडिकल साइंस की कोई भी उपलब्धि हर इंसान के लिए एक आशा की किरण का काम करती है. 27 साल के दीपक की ज़िन्दगी में भी सफदरजंग अस्पताल में सेंटर इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओर्थोपेडिक्स ने एक उम्मीद जगाई. दीपक ने डेढ़ हफ़्ते पहले ही अपने पैरों पर आराम से चलना और बैठना शुरू किया हैं. दीपक पिछले ढ़ाई सालों से अपने कूल्हों में बेइंतिहा दर्द से परेशान था और चलने बैठने में असहाय था.

Advertisement

सफदरजंग अस्पताल के सेंटर इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओर्थोपेडिक्स के डॉक्टर्स ने दीपक के कुल्हों की सिनोविअल मेम्ब्रेन में कुछ गांठे देखी और उसके ऑपरेशन की ठानी. ये ऑपरेशन आसान नहीं था क्योंकि हिप ऑर्थोस्कोपी बहुत ही रेयर और कंप्लीकेटेड प्रक्रिया हैं लेकिन दीपक के केस में ये ऑपरेशन सफल रहा. पहली बार डॉक्टर्स ने ऑर्थोस्कोपी के ज़रिये हिप सर्जरी को अंजाम दिया, जिसकी बदौलत दीपक अपने पैरों पर खड़ा हैं.

ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर्स की टीम जिसमें प्रो. देवेन्द्र सिंह, और सुनील कुमार पांडेय शामिल हैं, उनके अनुसार हिप जॉइंट में आर्थोस्कोपी करना मुश्किल होता हैं क्योंकि हिप जॉइंट काफी अंदर की तरफ होता हैं. ये बीमारी ज्यादातर घुटनों और कंधो के जॉइंट्स में होती हैं और यहां ऑर्थोस्कोपी करना आसान भी होता हैं.लेकिन कुल्हों में मिली इन लूज़ बॉडीज को ऑर्थोस्कोपी के ज़रिये निकाल कर ठीक करना बहुत ही यूनिक और एडवांस तकनीक ही हैं जो की नार्थ इंडिया में भी मुश्किल ही 1 या 2 सेंटर्स में उपलब्ध हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement