
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के मामले कम होने लगे हैं. अब मौतें भी कम हो गई हैं और अस्पताल में ज्यादा मारामारी भी देखने को नहीं मिल रही है. लेकिन अब प्रशासन और सरकार की तरफ से किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा रही है. इसी वजह से अब पहले से हर तरह की तैयारी की जा रही है. इसी कड़ी में अब ITBP द्वारा संचालित कोविड केयर सेंटर में 150 नए वेंटिलेटर लगा दिए गए हैं. इन वेंटिलेटर को PM-CARES के जरिए खरीदा गया है.
कोविड सेंटर को मिले 150 वेंटिलेटर
इन वेंटिलेटर के जरिए अब उन क्रिटिकल मरीजों का इलाज किया जाएगा जिनका ऑक्सीजन लेवल कम है और जिन्हें इंफेक्शन भी काफी ज्यादा हो गया है. सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर की जिम्मेदारी संभालने वावे आनंद स्वरूप ने खुद इन वेंटिलेटर वॉर्ड्स का दौरा किया और तमाम इंतजामों का डॉक्टर्स संग जायजा लिया. वैसे इस कोविड केयर सेंटर को भी उस समय सक्रिय किया गया था जब दिल्ली सरकार की तरफ से केंद्र से अपील की गई थी कि राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ज्यादा बेड की जरूरत है. तब गृह मंत्रायल की तरफ से सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर की कमान ITBP को सौंप दी गई थी.
अब यहां पर 150 और वेंटिलेटर लग गए हैं, ऐसे में मरीजों के लिए सुविधा भी ज्यादा हो जाएगी और कोरोना के प्रकोप के बीच ये एक असरदार रणनीति भी रहेगी. इस सेंटर में लोगों को दवाइयां, भोजन सबकुछ दिया जाएगा. वहीं दैनिक योग और ध्यान सत्र भी आयोजित किए जाते रहेंगे. इसके अलावा सेंटर में दोनों पुरुष और महिलाओं के लिए अलग वॉर्ड होंगे, ऐसे में मरीजों को मॉनीटर करना आसान रहेगा.
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दिल्ली में कमजोर पड़ा कोरोना
वैसे इस सेंटर में अब नए मरीज कम आ रहे हैं और ठीक होने वालों की संख्या ज्यादा हो गई है. आंकड़े बताते हैं कि सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर में 1,223 मरीज एडमिट हुए हैं, वहीं उनमें से भी 935 डिस्चार्ज हो चुके हैं. अभी सेंटर में सिर्फ 200 बेड भरे हैं, ऐसे में किसी को एडमिट करने में ज्यादा दिक्कत नहीं होने जा रही है. दिल्ली के कोरोना मीटर की बात करें तो पिछले 24 घंटे में 3009 नए मामले सामने आए हैं, वहीं 252 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. राहत की बात ये है कि राजधानी में अब संक्रमण दर 5 फीसदी से भी कम हो गया है और स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.