
सुप्रीम कोर्ट से बरी हुए साल 2012 के छावला गैंगरेप के आरोपी को दिल्ली पुलिस ने कत्ल के आरोप में गिरफ्तार किया है. पुलिस ने छावला के आरोपियों में से एक व्यक्ति पर दोबारा केस दर्ज किया है. पकड़े गए आरोपी का नाम विनोद है. विनोद और उसके साथी पर एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर की हत्या का आरोप है. पुलिस के मुताबिक लूट का विरोध करने पर पवन और उसके साथी ने ऑटो ड्राइवर की हत्या कर दी थी. कत्ल की यह घटना 26 जनवरी को द्वारका इलाके में हुई
दिल्ली पुलिस के मुताबिक 26 जनवरी को पवन और उसके साथी विनोद ने द्वारका इलाके में एक ऑटो रिक्शा को बुक किया. इसके कुछ देर बाद उन्होंने ऑटो वाले को लूटने की कोशिश की और जब ऑटो वाले ने इसका विरोध किया तो दोनों ने ऑटो वाले के गले में चाकू मारकर हत्या कर दी और उसके बाद मौके से फरार हो गए. जांच के दौरान पुलिस सबसे पहले पवन के पास पहुंची और इसके बाद पूछताछ में पवन ने विनोद का नाम लिया और फिर पुलिस ने विनोद को गिरफ्तार कर लिया. विनोद द्वारका इलाके में अपनी मां के साथ रह रहा था.
पुलिस ने दर्ज किया मर्डर का केस
मर्डर की वारदात की जानकारी दिल्ली पुलिस को 26 जनवरी को दोपहर 2 बजे मिली. किसी राहगीर ने दिल्ली पुलिस को इसके बारे में जानकारी दी. मौके पर पहुंचकर दिल्ली पुलिस ने ऑटो रिक्शा चालक को हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. ऑटो रिक्शा चालक की पहचान अनर सिंह के रूप में हुई. अनार सिंह दिल्ली के मुनिरका इलाके में अपने परिवार के साथ रहता था और किराए का ऑटो रिक्शा चलाता था. इसके बाद द्वारका नॉर्थ थाना पुलिस ने कत्ल का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी.
CCTV फुटेज से पुलिस को जांच में मिली मदद
जांच के दौरान दिल्ली पुलिस को पता लगा था कि ऑटो को दो लोगों ने किराए पर लिया था. इसके बाद पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस कराई और कई CCTV फुटेज खंगाली गईं. इस घटना की जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. फिलहाल इस पूरे मामले की जांच अभी जारी है.
SC ने किया था बरी
बता दें कि 2012 में छावला इलाके में हुए एक गैंगरेप और कत्ल के आरोप में पुलिस ने विनोद और उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया था. लोअर कोर्ट और हाई कोर्ट ने विनोद और उसके साथियों को दोषी करार दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में तीनों को बरी कर दिया था.