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कोर्ट में पूछताछ के बाद CBI ने केजरीवाल को किया गिरफ्तार, दिल्ली CM ने SC में वापस ली जमानत अर्जी

केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद, अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर वह याचिका वापस ले ली, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी जमानत पर रोक लगाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी. 

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल. (ANI Photo) दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल. (ANI Photo)
सृष्टि ओझा/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा अदालत में पूछताछ करने की अनुमति दिए जाने के बाद सीबीआई ने बुधवार को शराब नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद, अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर वह याचिका वापस ले ली, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी जमानत पर रोक लगाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी. 

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बता दें कि केजरीवाल को कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. वह वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं. राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें इस मामले में 20 जून को जमानत दे दी थी. लेकिन ईडी ने ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और दावा किया था कि राउज एवेन्यू कोर्ट की जज न्याय बिंदु ने रिकॉर्ड पर रखे गए दस्तावेजों को पढ़े बिना ही आरोपी को जमानत देने का फैसला कर दिया.

दिल्ली हाई कोर्ट ने ईडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए केजरीवाल की जमानत पर रोक लगा दी थी. उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि आरोपी को जमानत देने में विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया. हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट की यह टिप्पणी बिल्कुल अनुचित थी कि रिकॉर्ड पर रखे गए दस्तावेजों पर विचार करना जरूरी नहीं है. कोर्ट की राय है कि इस पर उचित विचार की जरूरत है. अवकाश न्यायाधीश (ट्रायल कोर्ट) द्वारा PMLA की धारा 45 की जुड़वां शर्तों पर विचार नहीं किया गया. इसी फैसले को केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

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कोर्ट में आज सीबीआई ने क्या तर्क दिया?

ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि दस्तावेजों से आमना-सामना कराने के लिए केजरीवाल की हिरासत की जरूरत है. सीबीआई ने यह भी दावा किया कि केजरीवाल ने शराब ठेकों के निजीकरण का जिम्मा दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया पर डालते हुए कहा कि यह उनका ही आइडिया था. केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक अरविंद केजरीवाल  ने दावा किया कि विजय नायर उनके नहीं बल्कि आतिशी और सौरभ भारद्वाज के अंडर काम करता था. बता दें कि विजय नायर आम आदमी पार्टी का पूर्व कम्युनि​केशन इंचार्ज है, जो दिल्ली शराब घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक है.

हालांकि, अरविंद केजरीवाल ने आतिशी और मनीष सिसोदिया को लेकर सीबीआई के दावों का खंडन किया है. उन्होंने कोर्ट में कहा, 'मीडिया में कुछ चल रहा है, जो सही नहीं है. मैंने ऐसा बयान नहीं दिया है कि मनीष सिसोदिया दोषी हैं. मैने कहा था कि वह निर्दोष हैं और मैं भी निर्दोष हूं. इनका मकसद ही मीडिया में हमें बदनाम करना है. मनीष सिसोदिया बिल्कुल निर्दोष हैं. मैंने इन्हें कल बताया था कि ये बेतुके आरोप हैं. अभी दो-तीन दिन में देखना कि सीबीआई के सूत्र मीडिया में क्या-क्या प्लांट करेंगे'.

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सीबीआई की मांग का विरोध करते हुए, केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि उन्हें इस बारे में सूचित नहीं किया गया था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अदालत के समक्ष आवेदन दायर किया था और दिल्ली के सीएम से पूछताछ की इजाजत मांगी थी. उन्होंने कहा, 'जिस तरह से यह किया गया है वह गंभीर चिंता का विषय है. कृपया सीबीआई से हमें सारे दस्तावेज मुहैया कराने के लिए कहें और इस सुनवाई को कल के लिए टाल दें... अगर हम कल जवाब दाखिल करेंगे तो आसमान नहीं गिर जाएगा'.

सीबीआई ने 25 जून को तिहाड़ जेल में केजरीवाल का बयान लिया और बुधवार को ट्रायल कोर्ट के सामने उन्हें पेश करने की मांग की. कोर्ट में सीबीआई का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डीपी सिंह ने रखा. उन्होंने कहा कि जांच करना केंद्रीय एजेंसी का विशेषाधिकार है और कानून यह अनिवार्य नहीं करता है कि आरोपी को सूचित किया जाना चाहिए. सीबीआई ने कहा, 'कानून यह नहीं कहता है कि हम कब आरोपी से पूछताछ करना चाहते हैं, यह हमें उन्हें बताना होगा. के कविता के मामले में भी यही हुआ. हमें केवल अदालत की अनुमति की आवश्यकता है'.

अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मामला दिल्ली की अब समाप्त हो चुकी 2021-22 की उत्पाद शुल्क नीति में अनियमितताओं के आरोपों से जुड़ा है, जिसकी जांच जुलाई 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल की सिफारिश के बाद सीबीआई ने शुरू की थी. सीबीआई की एफआईआर के आधार पर ही ईडी ने इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी. ईडी का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल और उनके नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली शराब नीति में हेरफेर करने के लिए साउथ ग्रुप के मेंबर्स से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत ली.
 

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