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जहां इजाजत मिली नहीं, उन्हीं छठ घाटों के सौंदर्यीकरण पर 42 लाख खर्चेगा SDMC

दिल्ली में यमुना किनारे छठ घाट बनाने की अनुमति अभी तक नहीं दी गई है. लेकिन कमाल है कि निगम शासित बीजेपी की दक्षिणी नगर निगम ने छठ घाटों को सौंदर्यीकरण के लिए सबसे आगे आकर 214 वार्डों के लिए 41.60  लाख  रूपए की रकम को रिलीज कर दिया है.

छठ घाट छठ घाट
राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST
  • छठ घाटों के सौंदर्यीकरण पर 42 लाख खर्चेगा SDMC
  • यमुना पर छठ की नहीं मिली है इजाजत

छठ पूजा की अनुमति मिले इसको लेकर सियासी पार्टियों में हमेशा मुकाबला रहा है. अब बीजेपी और आम आदमी पार्टी एक मत हैं कि यमुना के किनारे छठ पूजा करने की अनुमति दी जाए. लेकिन यमुना किनारे छठ पूजा करने की अनुमति नहीं मिली है, फिर भी एसडीएमसी छठ घाटों के सौंदर्यीकरण पर 42 लाख खर्चेगा.  

निगम शासित बीजेपी की दक्षिणी नगर निगम ने सबसे आगे आकर 214 वार्डों के लिए 41.60  लाख रुपए की रकम को रिलीज कर दिया है. आजतक के पास ऑर्डर की कॉपी भी है. दक्षिणी दिल्ली के मेयर मुकेश सूर्यान कहते हैं कि एक वॉर्ड के दो छठ घाटों पर ये रकम खर्च होगी. अधिकतम 20 हजार रुपये एक वॉर्ड में खर्च किया जा सकेगा. सूर्यान ने बजट के लिए इंजीनियरिंग विभाग को कह दिया है. मुकेश सुर्यान ने बताया कि इस राशि का इस्तेमाल छठ घाटों में और आस पास स्ट्रीट लाइट के विकास और सुधार , रखरखाव , स्वच्छता और अन्य सुविधायें आदि के लिये किया जायेगा.

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उन्होंने कहा कि दक्षिणी निगम छठ घाटों पर स्वच्छता, पेय जल, मच्छरों से बचाव समेत स्वास्थ्य सेवाओं, नागरिक सुविधाओं और सामान्य सहायता के प्रबंध सुनिश्चित कराएगा. इसके लिये घाटों पर कई बूथ भी बनाये जाएंगे. छठ पर्व दिल्ली की धार्मिक, सांस्कृतिक गतिविधियों में प्रमुख स्थान रखता है. इस पर्व को सभी निवासी मिलजुल कर मनाते है और छठ मैय्या के आशीर्वाद की कामना करते हैं. इस आयोजन को सफल बनाना हमारा दायित्व बनता है और दक्षिणी निगम  कोरोना नियमों को ध्यान में रखते हुए छठ पर्व को सफल बनाने के लिए हर संभव सहायता करेगा.
 
साल भर पहले भी हुआ था विवाद  

साल 2018 में दिल्ली नगर निगम ने छठ घाटों के लिए 5-5 लाख देने के ऐलान के बाद काफी हंगामा हुआ. कांग्रेस ने वक्त पर सैलरी नहीं दे पाने वाले निगम को इस मुद्दे पर आड़े हाथों लिया था. दरअसल दिल्ली की सियासत में पूर्वांचली वोटर्स बेहद खास इसलिए हैं क्योंकि विधानसभा की करीब 25 सीटों पर ये ना केवल चुनावी रूख तय करते हैं बल्कि दिल्ली में पूर्वांचली वोटर्स करीब 30 फीसदी हैं.

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