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सीलिंगः कहीं स्लम न बन जाए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सीलिंग का मुद्दा बीजेपी के लिए गले की फांस बनता जा रहा है. जहां व्यापारी इस मुद्दे को लेकर स्थायी समाधान के पक्ष में है, तो वहीं डीडीए के प्रस्ताव को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर विशेषेज्ञ तक गंभीर चिंता जता रहे हैं.

फाइल फोटो फाइल फोटो
राम कृष्ण/रोहित मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सीलिंग का मुद्दा बीजेपी के लिए गले की फांस बनता जा रहा है. जहां व्यापारी इस मुद्दे को लेकर स्थायी समाधान के पक्ष में है, तो वहीं डीडीए के प्रस्ताव को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर विशेषेज्ञ तक गंभीर चिंता जता रहे हैं. इनकी चिंता यह है कि व्यापारियों को राहत देने के चक्कर में कहीं दिल्ली स्लम न बन जाए.

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सीलिंग को लेकर व्यापारियों की परेशानी बीजेपी के गले की हड्डी बना जा रहा है. जहां एक ओर डीडीए प्रस्ताव लाकर व्यापारियों को राहत देने की कोशिश में लगा है, तो वहीं प्रस्ताव को लेकर सवाल उठ रहे हैं. डीडीए के टाउन प्लानर रहे आरडी गुप्ता ने भी इस पर सवाल दागे हैं. उन्होंने पूछा है कि क्या डीडीए दिल्ली को स्लम बनाना चाहता है?

दरअसल, डीडीए के प्रस्ताव में जो एफआर बढ़ाने को लेकर विवाद है, दिल्ली वैसी ही भीड़ और पार्किंग की समस्या से जूझ रही है. इसको लेकर कोर्ट भी डीडीए को लताड़ लगा चुका है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है और बार-बार छूट देने से दिल्ली स्लम में तब्दील हो जाएगी. अब सवाल यह है कि कॉमर्शियल इलाकों में पार्किंग का प्रावधान कैसे लागू हो पाएगा? पार्किंग बाजार के अंदर होगी, तो वहां के हालात बिगड़ेंगे. लिहाजा पार्किंग बाजारों से हटकर होनी चाहिए.

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वहीं, दूसरी ओर बीजेपी विशेषज्ञों पर ही सवाल खड़े कर रही है. सवाल यह है कि अगर FAR (फ्लोर एरिया रेशो) बढ़ा, तो उससे होने वाली समस्या का निदान क्या होगा? सीलिंग को लेकर भले ही राहत देने की बात हो रही हो, लेकिन विशेषेज्ञ भी मानते हैं कि पार्किंग और अवैध बिल्डिंगों पर रोक नहीं लगेगी, तो फिर समस्या पैदा होगी और दिल्ली स्लम में तब्दील हो जाएगी.

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