
देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में 20 दिन से शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है. CAA के खिलाफ जारी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्रों का समूह दो गुट में बंट गया. दरअसल, इस धरने के संचालन में जामिया मिल्लिया इस्लमिया, जेएनयू और कुछ पूर्व आईआईटी छात्र शामिल हैं.
आईआईटी और जेएनयू के कुछ छात्रों ने गुरुवार को अचानक शाहीन बाग में धरना खत्म करने का ऐलान किया लेकिन प्रदर्शन गर्मजोशी से जारी है. प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों ने धरना खत्म नहीं करने का फैसला किया है. उनका कहना है कि इतने दिनों से हमारे घर की महिलाएं दिन-रात सड़कों पर बैठी हैं, सरकार की ओर से किसी सुनवाई के बगैर इस तरह से प्रदर्शन खत्म नहीं किया जा सकता.
पुलिस लाठी चार्ज करेगी तब भी डटे रहेंगे
जज्बे से डटे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक सरकार अपना काला कानून वापस नहीं ले लेती, तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा. प्रदर्शन कर रहे नाजिर ने कहा कि अगर पुलिस हम पर लाठी चार्ज भी करेगी तो हम उसके लिए भी तैयार हैं. महिलाओं ने भी बुलंद आवाज में कहा कि ठंड में हम लोग जिस तरह से दिन-रात अपने हक के लिए लड़ रहे हैं, इसी तरह से डटे रहेगें जब तक सरकार की आंखें नहीं खुलती.
ठंड-बारिश में भी सड़कों से नहीं हटेंगे
प्रदर्शनकारियों में बड़ी तादाद में शामिल महिलाओं का कहना है 2 डिग्री तक पारा पहुंचने वाली रिकॉर्डतोड़ ठंड भी हमारा जोश ठंडा नहीं कर पाई है. उनका कहना है कि हम बारिश में भी इसी तरह डटे रहेंगे और देश के संविधान की रक्षा के लिए जंग जारी रहेगी.
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हिंसा की आशंका के चलते हुआ था धरना खत्म का ऐलान
जेएनयू छात्र शरजील इमाम ने गुरुवार को मंच से कहा, हिंसा की आशंका है और पुलिस प्रदर्शनकारियों को जबरन हटा सकती है. उन्होंने कहा कि हम शाहीन बाग की सड़क से हट रहे हैं, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हमारा विरोध जारी रहेगा. प्रदर्शन खत्म करने के पीछे उन्होंने तर्क दिया कि विधानसभा चुनाव होने की वजह से राजनीतिक पार्टियों के कार्यक्रमों के चलते उन्हें हिंसा की आशंका है, इसलिए सुरक्षा कारणों से धरना खत्म कर रहे हैं. हम दिल्ली और देश के अलग-अलग हिस्सों में सीएए के खिलाफ जागरुकता लाएंगे.
प्रदर्शनकारी छात्रों की जुदा राय के बीच हंगामे के दौरान पूर्व कांग्रेस विधायक मोहम्मद आसिफ भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने धरना खत्म न करने की अपील करते हुए कहा कि जब तक प्रधानमंत्री कोई आश्वासन नहीं देते और पुलिस प्रदर्शनकारियों पर दर्ज किए गए मुकदमे वापस नहीं लेती, तब तक यह विरोध जारी रहेगा.
गौरतलब है कि पूर्व विधायक आसिफ पर भी प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने के दो मुकदमे दर्ज किए गए हैं. प्रदर्शनकारी अपनी बात पर अटल हैं, वह कह रहे हैं कि यह किसी एक धर्म, समुदाय या राजनीति की लड़ाई नहीं बल्कि संविधान की लड़ाई है, हम इसी तरह अपनी मां-बहनों और सभी महिलाओं के समर्थन के साथ मजबूती से एकजुट होकर डटे रहेंगे.