
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दुनिया को 81 साल की उम्र में अलविदा कह दिया. शनिवार को एस्कॉर्ट अस्पताल में उन्होंने 3.55 बजे अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार रविवार को दोपहर 2.30 बजे राजधानी के निगमबोध घाट पर किया जाएगा. इससे पहले सुबह 11.30 बजे पार्थिव शरीर को उनकी बहन के घर से कांग्रेस दफ्तर ले जाया जाएगा, जो 12.15 बजे तक पहुंचेगा. यहां कांग्रेस नेता और अन्य लोग शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देंगे. पार्थिव शरीर को 1.30 बजे तक कांग्रेस दफ्तर में रखा जाएगा. इसके बाद वहां से पार्थिव शरीर को निगमबोध घाट ले जाया जाएगा, जहां 2.30 बजे दिल्ली की पूर्व सीएम का अंतिम संस्कार होगा.
शीला दीक्षित कुछ वक्त से बीमार चल रही थीं, जिसके बाद उन्हें एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. शनिवार को 3 बजकर 5 मिनट पर उन्हें दिल का दौरा पड़ा और 3.55 बजे उनका निधन हो गया. इसके बाद कांग्रेस समेत पूरे देश में शोक की लहर फैल गई. उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चीफ सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह समेत कई बड़े नेताओं ने शोक जताते हुए श्रद्धांजलि दी.
दिल्ली की सबसे चहेती CM रहीं शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां कमेंट करें
1998 में UP से आईं और छा गईं, शीला दीक्षित ने जीत लिया था दिल्ली वालों का दिल
शीला दीक्षित सबसे लंबे समय तक तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. 1998 से लेकर 2013 तक उन्होंने दिल्ली का शासन संभाला. उनके सम्मान में दिल्ली सरकार ने दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शोक जताते हुए कहा कि दीक्षित का शहर के विकास में योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. उनके आकस्मिक निधन के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है.
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मॉडर्न दिल्ली के लिए किए अपने इन कामों के लिए हमेशा याद की जाएंगी शीला दीक्षित
शीला दीक्षित को दिल्ली में सड़कों और फ्लाईओवरों के साथ बढ़ते बुनियादी ढांचे के लिए श्रेय दिया जाता है. इसके अलावा उन्हें बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम, जिसमें दिल्ली मेट्रो भी शामिल है, साथ ही स्वास्थ्य और शैक्षणिक क्षेत्र के विकास के लिए भी सराहा जाता है. दीक्षित 2014 में केरल की राज्यपाल भी रहीं. इस साल जनवरी से वह कांग्रेस की दिल्ली इकाई की अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा, मगर इस बार चमत्कारी परिणाम आने पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा.