
क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर अनशन करने की अनुमति नहीं मिलने पर निराशा व्यक्त की है और अपने अनशन के लिए अल्टरनेटिव देने की मांग की है. सोनम वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर अनशन करने की मांग कर रहे थे.
जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठने के उनके अनुरोध को खारिज करते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे गए पत्र की कॉपी साझा करते हुए, वांगचुक ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, एक और अस्वीकृति, एक और निराशा. आखिरकार आज सुबह हमें विरोध प्रदर्शन के लिए आधिकारिक रूप से नामित जगह के लिए यह अस्वीकृति पत्र मिला. अगर जंतर-मंतर की अनुमति नहीं है तो कृपया हमें बताएं कि किस जगह की अनुमति है. हम सभी कानूनों का पालन करना चाहते हैं और फिर भी शांतिपूर्ण तरीके से अपनी शिकायत व्यक्त करना चाहते हैं. अपने ही देश में गांधी के रास्ते पर चलना इतना मुश्किल क्यों है. वहां कोई रास्ता जरूर होना चाहिए.
दिल्ली पुलिस ने क्या कहा
पत्र में दिल्ली पुलिस ने कहा कि अनुरोध बहुत कम नोटिस पर प्राप्त किया गया था और सभा के बारे में कोई कोई विशिष्ट समय सीमा का उल्लेख नहीं किया गया था.
पुलिस ने कहा कि दिशानिर्देशों के अनुसार, जंतर-मंतर पर कोई भी प्रदर्शन आयोजित करने के लिए आवेदन निर्धारित कार्यक्रम से कम-से-कम 10 दिन पहले भेजा जाना चाहिए जो कि सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच किया जाना चाहिए.
प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले लेह एपेक्स बॉडी के समन्वयक जिग्मत पलजोर ने पीटीआई को बताया कि वे वैकल्पिक जगहों की तलाश कर रहे हैं, जिसके लिए पुलिस और सरकार के साथ चर्चा चल रही है.
शनिवार रात एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में वांगचुक ने दावा किया कि जब उन्होंने राजघाट पर अपना अनशन तोड़ा तो उन्हें दो दिनों के अंदर शीर्ष नेतृत्व के साथ नियुक्ति का आश्वासन दिया गया था, लेकिन इससे इनकार किए जाने के बाद उन्हें अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
एक्टिविस्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को यह भी बताया गया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 जो अनधिकृत सभाओं पर रोक लगाती है, नई दिल्ली में स्थायी रूप से लागू है. उन्होंने कहा कि अनशन करने दे जंतर-मंतर पर बैठ कर, या वो जगह बता कहा ना हो (हम जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठें या हमें ऐसी जगह बताएं जहां कोई धारा नहीं लगाई गई हो).
वांगचुक ने संदेश में कहा, "इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि लोकतंत्र में ऐसी कोई जगह क्यों नहीं है, जहां लोग शांति से बैठ सकें और अपना दर्द साझा कर सकें."
सितंबर में शुरू हुआ था दिल्ली चलो मार्च
आपको बता दें कि सोनम वांगचुक 1 सितंबर से 150 लोगों के साथ लद्दाख से निकले थे. इस दौरान वह हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति, मनाली, कुल्लू, मंडी, चंडीगढ़ होते हुए दिल्ली बॉर्डर पहुंचे थे, जहां पुलिस ने उन्हें और अन्य कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. इस मार्च को लेह एपेक्स बॉडी द्वारा आयोजित किया गया था जो कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ-साथ पिछले चार सालों से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने, लद्दाख के लिए एक सार्वजनिक सेवा आयोग और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटें की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
शनिवार को अधिकांश प्रदर्शनकारी लद्दाख लौट आए, जबकि अन्य लोग सोमन वांगचुक के साथ अनशन में शामिल होने के लिए दिल्ली रुक गए.