
लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है. बीजेपी सांसद विनोद सोनकर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने वोटिंग के बाद कार्रवाई का प्रस्ताव पास कर दिया है. कमेटी ने 479 पेजों में ड्राफ्ट रिपोर्ट फाइनल की है. हालांकि, महुआ पर कार्रवाई को लेकर संसद में भी प्रोसेस पूरी होनी बाकी है. अगले सत्र में इस रिपोर्ट में बहस होगी और उसके बाद मतदान होगा और फैसला लिया जाएगा.
बता दें कि महुआ मोइत्रा को संसद का अपना लॉगइन आईडी और पासवर्ड किसी दूसरे को शेयर करने का आरोपी पाया गया है. कमेटी ने 'अनैतिक आचरण' का दोषी पाया है. कमेटी ने महुआ की संसद सदस्यता रद्द करने के अलावा उनके खिलाफ समयबद्ध तरीके से कानूनी कार्रवाई करने की भी सिफारिश की है. दरअसल, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ पर पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था. दुबे ने इसकी शिकायत लोकसभा स्पीकर से की थी. मामले में लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने जांच की. दुबे का आरोप है कि नकदी और गिफ्ट के बदले संसद में सवाल पूछने के लिए महुआ और कारोबार दर्शन हीरानंदानी के बीच 'रिश्वत' का लेन-देन हुआ था. दुबे ने वकील जय अनंत देहाद्राई के पत्र का हवाला दिया, जिसमें महुआ और हीरानंदानी के बीच कथित आदान-प्रदान के 'सबूत' का जिक्र किया गया है.
'एथिक्स कमेटी ने पहली बार की निष्कासन की सिफारिश'
लोकसभा की एथिक्स कमेटी की तरफ से पहली बार किसी सांसद के खिलाफ निष्कासन की सिफारिश की गई है. जबकि 18 साल पहले 10 लोकसभा और एक राज्यसभा मेंबर को भी पैसे के बदले सवाल पूछने के आरोप में सस्पेंड किया गया था. इनमें छह बीजेपी, तीन बीएसपी, एक-एक कांग्रेस और आरजेडी के सदस्य शामिल थे. 12 दिसंबर 2005 को सामने आए वीडियो में 11 सांसद हाथ में पैसे लेते दिखे थे. इसका स्ट्रिंग ऑपरेशन किया गया था. घटना के 10 दिन के अंदर दोनों सदनों में वोटिंग के जरिए 11 सांसदों को निष्कासित कर दिया गया था. बीजेपी ने वोटिंग का बहिष्कार किया था.
ड्राफ्ट रिपोर्ट पर 6:4 के बहुमत से सिफारिश
हालांकि, महुआ ने किसी भी तरह का आर्थिक लाभ लेने के आरोप से इनकार किया है. सूत्रों के मुताबिक, महुआ मामले में गुरुवार को कांग्रेस से निष्कासित सांसद परणीत कौर समेत एथिक्स कमेटी के छह सदस्यों ने ड्राफ्ट रिपोर्ट के समर्थन में वोट किया. जबकि बसपा के दानिश अली, जदयू के गिरधारी लाल समेत चार सदस्यों ने रिपोर्ट के खिलाफ वोटिंग की. बाद में 6:4 से प्रस्ताव पास हो गया. विपक्षी सदस्यों का कहना है कि बिना चर्चा के सीधे वोटिंग करवाई गई है. विपक्षी सदस्यों का कहना है कि कारोबारी दर्शन हीरानंदानी को पैनल के सामने पेश होने का मौका नहीं दिया गया है. दर्शन ने सिर्फ हलफनामा ही दायर किया है. विपक्षी सदस्यों ने असहमति नोट में पक्षपात का आरोप लगाया है.
अब आगे क्या होगा..
कमेटी अब आज (शुक्रवार) यह विस्तृत रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपेगी. उसके बाद यह रिपोर्ट 4 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश की जाएगी. वहां एथिक्स कमेटी की सिफारिश को अमल में लाने के लिए वोटिंग की जाएगी. जानकारों का यह भी कहना है कि एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा सचिवालय भी फैसला ले सकता है. कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए लोकसभा सचिवालय महुआ को संसद से निष्कासित कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो महुआ के पास फैसले को चुनौती देन के लिए आगे कानून विकल्प खुले रहेंगे.
एथिक्स कमेटी ने क्या कहा...
एथिक्स कमेटी के चेयरमैन विनोद सोनकर ने जोर देकर कहा, रिपोर्ट को अपनाने के लिए मतदान करवाया गया. उन्होंने कहा, पैनल के छह सदस्यों ने रिपोर्ट को अपनाने का समर्थन किया और चार ने इसका विरोध किया. उन्होंने संकेत दिया कि कांग्रेस सांसद परणीत कौर ने पैनल में शामिल बीजेपी सदस्यों का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, यह संसद की प्रतिष्ठा का मामला था और उन्होंने इसकी रक्षा करने का फैसला किया. परणीत कौर के पति और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह बीजेपी में हैं.
क्या कहते हैं संविधान के जानकार..
लोकसभा के पूर्व महासचिव और संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य ने महुआ मामले में अपनी राय दी. उन्होंने कहा, यह शायद पहली बार है जब लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने किसी सांसद को निष्कासित करने की सिफारिश की है.2005 में एक अन्य 'कैश-फॉर-क्वेरी' मामले में 11 सांसदों को संसद से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन उन निष्कासनों की सिफारिश राज्यसभा की एथिक्स कमेटी और लोकसभा की जांच कमेटी द्वारा की गई थी. 2005 में 'कैश-फॉर-क्वेरी' मामले में कार्यवाही फास्ट-ट्रैक की तरह थी. मामला 12 दिसंबर को सामने आया और 23 दिसंबर 2005 को सदस्यों को निष्कासित कर दिया गया. आचार्य ने कहा, लोकसभा की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट अब स्पीकर को भेजी जाएगी. स्पीकर चाहें तो इसे सार्वजनिक कर सकते हैं. उन्होंने कहा, संसद के अगले सत्र के दौरान कमेटी के चेयरमैन सदन में रिपोर्ट पेश करेंगे और उसके बाद इस पर बहस होगी. सदस्य के निष्कासन के लिए प्रस्ताव पर मतदान होगा.
क्या बोलीं महुआ...
पैनल की सिफारिश के बाद महुआ ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इसे 'कंगारू कोर्ट' का पहले से तय फैसला बताया. महुआ ने कहा, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है. लेकिन देश के लिए बड़ा संदेश यह है कि भारत के लिए यह संसदीय लोकतंत्र की मौत है. वे भले ही मुझे लोकसभा से निष्कासित कर थे, मैं अगली लोकसभा में बड़े जनादेश के साथ वापस आऊंगी.
पक्ष और विपक्ष ने क्या कहा...
सीपीआई (एम) के पीआर नटराजन ने कमेटी की शक्ति पर सवाल उठाया. जबकि कांग्रेस के वी वैथिलिंगम ने कहा, कमेटी को दुबई में कारोबारी हीरानंदानी की जांच करनी चाहिए. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि लोकसभा में सवाल पूछने के बदले महुआ को रिश्वत और गिफ्ट दिए गए थे. पैनल की सदस्य और बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा, ये निराधार दावे हैं. दर्शन हीरानंदानी ने शपथ पत्र दिया है, जो पर्याप्त है. उन्होंने विपक्षी सदस्यों के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि महुआ का प्रस्तुतिकरण अभी तक पूरा नहीं हुआ है. कमेटी ने महुआ को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है. बसपा सांसद दानिश अली ने कहा, एथिक्स कमेटी ने जल्दबाजी में काम किया. उन्होंने दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया.
टीएमसी ने क्या कहा...
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) गुरुवार को मोइत्रा के समर्थन में देखी गई. पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने दावा किया कि जिसने भी सरकार से सवाल किया, उसे केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा परेशान किया गया. अभिषेक ने आगे सवाल किया, मोइत्रा के खिलाफ आरोप साबित होने से पहले ही एक संसदीय कमेटी उनके खिलाफ कार्रवाई करने पर कैसे विचार कर सकती है.
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के पक्ष में कौन-कौन...
1. कमेटी के चीफ विनोद सोनकर (बीजेपी)
2. सुमेधानंद सरस्वती (बीजेपी सांसद)
3. हेमंत गोडसे (शिवसेना)
4. परिणति कौर (कांग्रेस)
5. अपराजिता सारंगी (बीजेपी)
6. राजदीप रॉय (बीजेपी)
रिपोर्ट के विरोध में कौन-कौन...
1. दानिश अली (बहुजन समाज पार्टी)
2. वी वैथिलिंगम (कांग्रेस, पुडुचेरी से सांसद)
3. पी आर नटराजन (CPIM)
4. गिरिधारी यादव (JDU)