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दिल्ली AIIMS में ट्रांसजेंडर्स के लिए बनेगा स्पेशल क्लिनिक, जानिए क्या होगा खास

ट्रांसजेंडर केयर की सोच के साथ इस क्लीनिक की शुरुआत की जाएगी. मकसद है बिना किसी झिजक के ट्रांसजेंडरों का इलाज करना. फिर चाहे वह बच्चे हो, बड़े हो या बुजुर्ग. सभी यहां पर आकर अपनी परेशानी अपनी बीमारी डॉक्टर को आसानी से बता सकेंगे और उनके बिना किसी भेदभाव के साथ इलाज एक ही जगह पर किया जा सकेगा.

AIIMS में ट्रांसजेंडर्स के लिए खास व्यवस्था की जाएगी AIIMS में ट्रांसजेंडर्स के लिए खास व्यवस्था की जाएगी
अनामिका गौड़
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST

दिल्ली एम्स में ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए एक स्पेशल क्लिनिक बनाया जाएगा. इस क्लिनिक को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस नाम दिया जाएगा. यह एक ऐसी जगह होगी, जहां पर ट्रांसजेंडर कम्युनिटी का हर तरीके से इलाज मौजूद होगा. सर्जरी से लेकर साइकाइट्रिक ट्रीटमेंट इस क्लीनिक में मुहैया कराया जाएगा. दिल्ली एम्स के अलग-अलग डिपार्टमेंट के डॉक्टर मिलकर इस क्लीनिक में मरीजों का इलाज करेंगे.

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दरअसल, ट्रांसजेंडर केयर की सोच के साथ इस क्लीनिक की शुरुआत की जाएगी. मकसद है बिना किसी झिजक के ट्रांसजेंडरों का इलाज करना. फिर चाहे वह बच्चे हो, बड़े हो या बुजुर्ग. सभी यहां पर आकर अपनी परेशानी अपनी बीमारी डॉक्टर को आसानी से बता सकेंगे और उनके बिना किसी भेदभाव के साथ इलाज एक ही जगह पर किया जा सकेगा.

सेंटर फॉर एक्सीलेंस में अलग-अलग देशों के वर्ल्ड हेल्थ प्रोफेशनल्स Wpath, IPath और मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस मिलकर दिल्ली ऐम्स के डॉक्टर्स के साथ काम करेगी. इसके बाद भारत के अन्य एम्स निधि ऐसे ही सुविधा और क्लीनिक खोले जाएंगे. ट्रांसजेंडर कम्युनिटी की हेल्थ, मेंटल हेल्थ और डायवर्सिटी को समझा जायेगा और इलाज किया जाएगा.

वर्कशॉप में बुलाए गए विदेशी एक्सपर्ट 

यूं तो भारत में भी सेक्स चेंज ऑपरेशन जैसी जटिल सर्जरी बहुत से अस्पतालों में की जाती है, मगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एडवांस सर्जरी एडवांस्ड ट्रीटमेंट को समझने के लिए दिल्ली एम्स में वर्ल्ड हेल्थ प्रोफेशनलस को बुलाया गया और 5 दिन की वर्कशॉप रखी जाएगी. इन पांच दिनों में ट्रांस हेल्थ केयर फील्ड में एडवांस्ड ट्रीटमेंट, लाइव सर्जरी, हार्मोनल ट्रीटमेंट और दिल्ली ऐम्स के डॉक्टर्स के साथ वर्कशॉप भी की जाएगी. वर्ल्ड हेल्थ प्रोफेशनल से एडवांस ट्रीटमेंट नॉलेज एक्सचेंज किया जाएगा. इसके बाद सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में एडवांस्ड तरीके से केयर दी जायेगी.

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8 प्रतीशत ट्रांसजेंडर नहीं कराते इलाज

बता दें कि 100 में से 2 से 8 प्रतिशत ऐसे ट्रांसजेंडर हैं, जो हेल्थ फैसिलिटी नहीं ले पाते. उनको केयर की जरूरत है. मेंटल हेल्थ केयर की जरूरत है.

डॉक्टर मनीष सिंगल ने बताया कि सेंटर फॉर एक्सीलेंस का मतलब है कि हम हर फैसिलिटी उन्हें एक जगह पर दें. वर्ल्ड हेल्थ प्रोफेशनल्स कैसे और किस तकनीक से इलाज करते हैं. इसके लिए वर्कशॉप रखी गई है. यह अक्सर देखने को मिलता है कि ट्रांसजेंडर इलाज के लिए आगे नहीं आते हैं. इलाज तो बाद में होगा, पहले उनका हॉस्पिटल तक आना जरूरी है. इसके लिए ये क्लीनिक बनाया जा रहा है, जिसमे किसी को अलग महसूस न हो और सब इलाज आसनी से हो सके. 

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