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स्पेशल मैरिज एक्ट: दिल्ली HC ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजकर मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलावों को लेकर लगाई गई एक याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है.

दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो) दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 9:05 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलावों को लेकर लगाई गई एक याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है. याचिका में संबंधित कानून के तहत होने वाली शादियों के लिए आपत्ति मंगाने को लेकर जारी किए जाने वाले सार्वजनिक नोटिस के प्रावधानों को चुनौती दी गई है. 

याचिका में कहा गया है कि इस तरह के सार्वजनिक नोटिस जारी करके 1 महीने का वक्त लगाने के कारण स्पेशल मैरिज एक्ट में शादी करने वाले लोगों की तकलीफ और बढ़ जाती हैं. याचिका में कहा गया है कि खुद लॉ कमीशन ने यह माना है की आपत्तियां दर्ज करवाने के लिए दिए जाने वाला 1 महीने का वक्त स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होने वाली शादियों को हतोत्साहित करता है.

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दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका रहमान की तरफ से लगाई है. सुनवाई के दौरान इस मामले में बतौर वकील पैरवी कर रहे उत्कर्ष सिंह से कोर्ट ने पूछा कि क्या कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत क्या शादी करने वाले जोड़ों को व्यवहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है? जिस पर याचिकाकर्ता ने बताया कि व्यवहारिक दिक्कतों के आने के कारण ही यह याचिका कोर्ट में लगाई गई है. 

स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत  दो अलग-अलग धर्मों के लोग  शादी करते हैं  शादी करने से पहले दोनों पक्षों की तरफ से  कोई भी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए  30 दिन का समय दिया जाता है. जबकि बाकी धर्मो में शादी करने वाले जोड़ों के लिए ये नियम लागू नहीं होता है. 

याचिकाकर्ता का तर्क है कि जब स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोई भी जोड़ा शादी करता है तो कोर्ट में इसको लेकर हलफनामे दाखिल किए जाते हैं जिसमें व्यक्तिगत तौर पर सभी जानकारियां होती हैं. 30 दिन का वक्त यह सुनिश्चित करने के लिए दिया जाता है जिससे यह साफ हो सके कि शादी करने वाले 2 लोगों में से पहले से कोई शादीशुदा तो नहीं है, मानसिक रूप से उसे कोई परेशानी तो नहीं, या इसी तरह की कोई और व्यक्तिगत परेशानी को लेकर अगर दोनों पक्षों में से किसी के भी परिवार का सदस्य आपत्ति दर्ज करना चाहे तो स्वतंत्र होता है. 

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याचिकाकर्ता का कहना है कि हलफनामा दाखिल करते वक्त दोनों पक्ष अपनी जानकारियां शादी से पहले कोर्ट मैरिज के दौरान देते है. ऐसे में 30 दिन का यह वक्त दिए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है. दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई अब 27 नवंबर को करेगा.

 

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