
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना किनारे तीन दिवसीय वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल का भव्य आयोजन जारी है. शनिवार को दूसरे दिन भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए गए. शाम करीब 4:30 बजे नादस्वरम की झंकार से कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जबकि देर शाम बारिश के कारण तय समय से एक घंटे पहले ही कार्यक्रम को 9 बजे खत्म कर दिया गया.
दूसरे दिन जहां एक ओर 1000 प्रशिक्षित वैदिक पंडितों ने मंत्रोच्चार किया, वहीं बड़ी संख्या में कलाकारों ने भंगड़ा प्रस्तुत किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि श्रीश्री देश की ऋषि परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.
शनिवार को राजनाथ सिंह के साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी आयोजन में शिरकत की. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस दौरान अपने संबोधन में कहा, 'मैं मंच पर आध्यात्मिकता के एकीकरण से अभिभूत हूं, लेकिन हैरान नहीं हूं!' जबकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि श्रीश्री ऐसे आयोजनों के माध्यम से भारत की ऋषि परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. राजनाथ सिंह ने कहा, 'श्रीश्री भारत की ऋषि परंपरा के वाहक हैं. उनकी मुहिम मानवता का कल्याण करने की है.'
खास बात यह रही है कि अपने संबोधन में दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने कई एक बार श्रीश्री रविशंकर को 'गुरुदेव' कहकर संबोधित किया. यही नहीं, सुषमा स्वराज ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए श्रीश्री को 'परमपूज्य गुरुदेव जी' कहकर भी संबोधित किया.
पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन
श्रीश्री रविशंकर की संस्था 'आर्ट ऑफ लिविंग' ने अपने 35 साल पूरे करने के उपलक्ष्य में इस तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन किया है. शुक्रवार को शाम करीब 5:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व सांस्कृति उत्सव का उद्घाटन किया था. पीएम मोदी ने इस दौरान अपने संबोधन में कहा कि आर्ट ऑफ लिविंग ने दुनिया को मैं से हम होने का संदेश दिया है. उन्होंने कहा, 'आर्ट ऑफ लिविंग ने हमें संघर्ष में जूझने का रास्ता दिखाया है.'
शनिवार को ये रहा खास
कार्यक्रम में 155 देशों के करीब 35 लाख लोग शिरकत कर रहे हैं. शनिवार को महाराष्ट्र के 1008 ढांगरी ढोल, मध्य प्रदेश के 250 गुदुम बाजा लोक नर्तक, सिक्किम से 350 मारुनि नर्तक, छत्तीसगढ़ के 1150 पंथी लोकनर्तक और पंजाब के भंगड़ा कलाकारों के अलावा 8500 भारतीय कलाकार 50 से ज्यादा साज पर संगीतमय प्रस्तुति दी.
इसके अलावा 1050 वैदिक पंडितों ने वेदपाठ किया, वहीं मध्यपूर्व देशों के 150 गायकों ने एकता का गीत सुनाया. चीन से आए 1000 गायकों ने भी चीनी भाषा में गीत गाए.