
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि भारत में बिटकॉइन (Bitcoin) वैध है या नहीं. 2018 में सामने आए बिटकॉइन फ्रॉड के एक मामले के आरोपियों को जांच में सहयोग करने का निर्देश देते हुए कोर्ट ने यह सवाल पूछा है. 4 हफ्ते बाद मामले की अगली सुनवाई होगी.
याचिकाकर्ता अजय भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने सरकार से कहा कि आपको अपना रुख साफ कर देना चाहिए. इस पर एडीशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अभी इस मामले में मुख्य सवाल ये नहीं है. बिटकॉइन मामले में शामिल 87 हजार लोगों से पूछताछ करनी है, लेकिन सभी तो जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
बता दें कि इस घोटाले का मास्टरमाइंड अमित भारद्वाज चार साल पहले मार्च 2018 में गिरफ्तार हुआ था. अप्रैल 2019 में उसे जमानत पर रिहा किया गया. वो फर्जी कंपनियों के जरिए बिटकॉइन का गोरखधंधा करने के लिए बदनाम रहा है. उसने 10 फीसदी मुनाफे की गारंटी वाली MLM स्कीम भी चलाई और लोगों से निवेश कराया.
ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि इस काले धंधे का खुलासा होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले साल जनवरी में पहले अमित भारद्वाज और फिर हेमंत भोपे और आकाश संचेती सहित कई आरोपियों से पूछताछ की. फिर कनेक्शन पता चला तो अमित भारद्वाज के भाई अजय और विवेक भारद्वाज और मां विमला भारद्वाज को भी तलब किया. ED ने उनको कई बार समन कर बुलाया और पूछताछ की है.
याचिकाकर्ता की पैरवी करते हुए शोएब आलम ने कहा कि FIR से साफ है कि बिटकॉइन मुद्रा है. FIR तो 2018 में दर्ज की गई लेकिन हमारे बिटकॉइन मुद्रा तो एजेंसी ने पहले ही ले ली थी.
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