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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा प्राचीन शिव मंदिर के विध्वंस के खिलाफ कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. यह मंदिर शहर की गीता कॉलोनी और यमुना बाढ़ क्षेत्र के पास स्थित है. पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना के बाढ़ क्षेत्र में स्थित अवैध शिव मंदिर को गिराने की अनुमति दे दी थी.
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता से मंदिर के सबूत मांगे. लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनके पास साबित करने के लिए इस तरह के दस्तावेज नहीं हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया था अतिक्रमण हटाने का आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि भगवान शिव हमारी ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली सुरक्षा के मोहताज नहीं हैं. उन्हें हमारी सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है. हाई कोर्ट ने कहा कि अगर यमुना नदी के तल और बाढ़ क्षेत्र को अतिक्रमण और अवैध निर्माण से मुक्त कर दिया जाए तो भगवान शिव अधिक प्रसन्न होंगे.
'भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की जरूरत नहीं'
हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने आधे-अधूरे मन से यह दलील दी कि मंदिर के देवता होने के नाते भगवान शिव को भी वर्तमान मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए. यह दलील पूरे विवाद को अलग रंग देने का एक हताश प्रयास है. यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की आवश्यकता है. बल्कि हम लोग उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद चाहते हैं.