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मुख्तार अंसारी के बेटे उमर को SC ने दी राहत, नहीं होगी गिरफ्तारी... आचार संहिता के उल्लंघन का था मामला 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में उमर अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा था कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए अपराध बनता है. इसके बाद इस फैसले के खिलाफ उमर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में खारिज कर दी थी उमर अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में खारिज कर दी थी उमर अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 25 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:11 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान उनके खिलाफ दर्ज मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा दी है. इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद उमर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.

दरअसल, 4 मार्च 2022 को मऊ जिले के कोतवाली पुलिस स्टेशन में अब्बास अंसारी (मऊ सदर सीट से एसबीएसपी उम्मीदवार), उमर अंसारी और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. FIR में आरोप लगाया गया था कि 3 मार्च 2022 को पहाड़पुरा मैदान में अब्बास अंसारी, उमर अंसारी और आयोजक मंसूर अहमद अंसारी ने एक सार्वजनिक बैठक में भड़काऊ भाषण देते हुए मऊ प्रशासन के साथ हिसाब-किताब करने की बात कही गई थी. 

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आचार संहिता के उल्लंघन का दर्ज हुआ था केस 

यह चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए दायर एक आपराधिक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा दी है.

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस पीके मिश्रा की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. अंसारी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि मुख्य आरोपी को मामले में पहले ही नियमित जमानत दी जा चुकी है. 

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की थी जमानत अर्जी 

पिछले साल 19 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उमर अंसारी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा था कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए अपराध बनता है.

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