
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आधिकारिक तौर पर मराठा आरक्षण पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बड़ी पीठ को ट्रांसफर कर दिया. 5 या उससे ज्यादा जजों की बेंच ही अब इस पर अंतिम सुनवाई करेगी. अंतरिम आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2020-21 कै दौरान नौकरी और एडमिशन में कोई मराठा कोटा नहीं होगा. हालांकि इस फैसले से पीजी एडमिशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इस फैसले के बाद मराठा कोटा रिजर्वेशन के मामले में अब बड़ी बेंच सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस (सीजेआई) एसए बोबडे संविधान पीठ का गठन करेंगे.
यह मामला काफी अर्से से विवादों में है. महाराष्ट्र में इस पर राजनीति होती रही है. मराठा समुदाय वर्षों से अपने लिए नौकरी और उच्च शिक्षा में एडमिशन के लिए कोटा मांगता रहा है. कई पार्टियों का उन्हें समर्थन भी मिलता रहा है. इसे लेकर ही बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई. इसमें अंतरिम आदेश में कहा गया कि उच्च शिक्षा के प्रोफेशनल कोर्सेज में दाखिले के लिए अलग से मराठा कोटा के मामले में अब बड़ी बेंच सुनवाई करेगी.
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी समेत लगभग सभी दल मराठा कोटा का समर्थन करते आए हैं. साल 2018 में इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र के 5 विधायकों ने इस्तीफा भी दे दिया था. इसमें एनसीपी, बीजेपी और कांग्रेस के विधायक शामिल थे. पिछले साल बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए जा रहे मराठा आरक्षण पर अपना फैसला दिया था. बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया था.
बता दें कि पिछले काफी समय से मराठा समाज शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है. महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार ने मराठों को आरक्षण से जुड़ा बिल विधानसभा में पास कर दिया था, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग आयोग से मराठा समाज की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी.