
स्वराज अभियान की शाखा जय किसान आंदोलन ने ऐलान किया है कि वह 1 फरवरी को केंद्रिय बजट के समानांतर जंतर मंतर पर किसान बजट पेश करेगी. किसान बजट 11 बजे ठीक उसी समय पेश होगा, जिस वक्त वित्तमंत्री अरुण जेटली आम बजट पेश करना शुरू करेंगे.
स्वराज अभियान ने मीडिया को भेजे बयान में कहा है कि मोदी सरकार किसानों के मुद्दों को यूनियन बजट में जगह देने को तैयार नहीं है और बीते दो साल में यह साफ हो गया है. एनडीए सरकार के पिछले तीन सालों मे कृषि विकास दर में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है और यह पिछले दो खराब मॉनसून के साथ मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों का नतीजा है.
अपने बयान में इसने कहा है कि सरकार की कृषि नीति किसानों के कितने हित में है, ये इसी तथ्य से साफ हो जाता है कि सरकार दाल का आयात तो 90 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से करती है, लेकिन उसी दाल का न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को मात्र 50 रुपये प्रतिकिलो दिया जाता है. इसके अलावा किसानों पर नोटबंदी का भी बेहद बुरा असर पड़ा है. नवंबर-दिसंबर में बुआई के समय जब किसान को कैश की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब उन्हें कैश की भारी किल्लत झेलनी पड़ी.
बजट एक ऐसा मौका होता है, जब देश की अर्थनीति पर विस्तार से चर्चा होती है. ये और बात है कि किसानों का जिक्र उसमें बहुत कम होता है. स्वराज आंदोलन इसी वजह से आम बजट के समानांतर एक किसान बजट पेश करेगा, जिसमें किसानों के हित के लिए जो नीतियां बननी चाहिए, उस पर चर्चा होगी. 30 जनवरी को आंदोलन किसानों की उम्मीदों पर एक पत्र जारी करेगा, 1 फरवरी को जंतर मंतर से किसान बजट पेश किया जाएगा, और फिर 2 फरवरी को यूनियन बजट की किसानों की मांग के आधार पर समीक्षा की जाएगी.
किसान बजट में स्वराज अभियान के साथ भारतीय किसान यूनियन के साथ कर्नाटक राज्य रय्यत संघ, किसान संघर्ष समिति, रैथु स्वराज वेदिके और नेशनल एलायंस ऑफ फॉर्मर्स मूवमेंट हिस्सा लेंगे.