
दिल्ली महिला आयोग में नियुक्तियों में गड़बड़ी के मामले में आरोपी स्वाति मालीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली. उनकी याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी. स्वाति मालीवाल ने निचली अदालत से आरोप तय होने के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. स्वाति मालीवाल पर आरोप है कि उन्होंने महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अगस्त 2015-16 के बीच गैरकानूनी तरीके से अपने जानकार, आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की.
जस्टिस अमित महाजन ने मालीवाल के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया. विस्तृत आदेश का इंतजार है. 8 दिसंबर, 2022 को ट्रायल कोर्ट ने मालीवाल और तीन अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) (लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार) सहित अन्य प्रावधानों के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था.
यह मामला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने डीसीडब्ल्यू की पूर्व अध्यक्ष और भाजपा विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत पर दर्ज किया था. हाईकोर्ट ने पिछले साल आपराधिक मामले में मालीवाल के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और AAP कार्यकर्ताओं के लिए आर्थिक लाभ मिला, जिन्हें उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना DCW के विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया.
अभियोजन पक्ष ने कहा, नियुक्तियां प्रक्रियाओं, नियमों, विनियमों के उल्लंघन में की गईं और सामान्य वित्त नियमों (GFR) और अन्य दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए पदों के लिए विज्ञापन भी नहीं दिया गया और पारिश्रमिक/वेतन/मानदेय के रूप में ऐसे विभिन्न व्यक्तियों को पैसे बांटे गए. अभियोजन पक्ष ने दावा किया है कि 6 अगस्त, 2015 और 1 अगस्त, 2016 के बीच DCW में 90 नियुक्तियां की गईं. इनमें से 71 लोगों को अनुबंध के आधार पर और 16 को 'डायल 181' संकट हेल्पलाइन के लिए नियुक्त किया गया था.उन्होंने कहा कि शेष तीन नियुक्तियों के बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं मिल सका.