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Turkey से दिल्ली पहुंचा विजय का शव, हाथ में बने 'ओम' से हुई थी पहचान

विजय कुमार उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले थे. उनका 6 साल का बेटा है. वो बेंगलुरु की ऑक्सी प्लांट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में प्लांट इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे. 20 फरवरी को विजय तुर्की से भारत लौटने वाले थे लेकिन आज उनका शव पहुंचा.

विजय कुमार गौड़/तुर्की में भूकंप से तबाही (File Photo) विजय कुमार गौड़/तुर्की में भूकंप से तबाही (File Photo)
मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:11 PM IST

तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप में जान गंवाने वाले उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के विजय कुमार का शव सोमवार को दिल्ली पहुंचा. इसके बाद उनके परिवार को सौंपा गया. विजय कुमार तुर्की में एक बिजनेस ट्रिप पर गए थे. उनका शव होटल के मलबे से बरामद किया गया था. उनके शव की शिनाख्त हाथ में बने ओम के टैटू से हुई थी.

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तुर्की में मौजूद भारतीय दूतावास ने शनिवार को ट्वीट किया था, 'हम दुख के साथ सूचित करते हैं कि 6 फरवरी के भूकंप के बाद से तुर्की में लापता हुए भारतीय नागरिक विजय कुमार के शव के कुछ हिस्से मिल गए हैं. तुर्की के मलत्या में एक होटल के मलबे के बीच से उनका शव निकाला गया है.'

विजय कुमार गौड़ (36) मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले थे. उनकी पत्नी उनके बच्चे के साथ फिलहाल देहरादून के बालावाला इलाके में किराए के घर में रह रही हैं. विजय बेंगलुरु की ऑक्सी प्लांट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में प्लांट इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे. विजय के परिवार में उनकी मां, पत्नी और 6 साल का बच्चा है. करीब डेढ़ महीने पहले ही विजय के पिता का निधन हुआ है.

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विजय तुर्की की औद्योगिक गैस आपूर्ति कंपनी कुल्कु गज के लिए एसिटिलीन गैस प्लांट का निर्माण और उसे चालू करने के लिए 22 जनवरी को अंतालिया गए थे. भूकंप की घटना के महज 14 दिन बाद यानी 20 फरवरी को विजय तुर्की से भारत लौटने वाले थे.

विजय के बड़े भाई अरुण कुमार गौड़ ने बताया कि विजय बिजनेस टूर पर गए हुए थे. इतने दिनों से विजय के फोन पर घंटी जा रही थी, लेकिन कोई जवाब नहीं दे रहा था. इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि भूकंप के बाद एक भारतीय लापता है और 10 अन्य फंसे हुए हैं, लेकिन दूरदराज के इलाकों में सुरक्षित हैं. 

गौरतलब है कि तुर्की में रहने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 3,000 है, जिनमें से लगभग 1,800 इस्तांबुल और उसके आसपास रहते हैं, जबकि 250 अंकारा में और बाकी पूरे देश में फैले हुए हैं.

 

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