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JNU में गंगा ढाबे को लेकर जंग, छात्र नेताओं ने लगाया डिबेट कल्चर को खत्म करने का आरोप

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय देश की जितनी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी है, उतने ही लोकप्रिय उसके तमाम प्रतीक भी हैं. जेएनयू में दाखिल होते ही दायीं तरफ मौजूद गंगा ढाबा जेएनयू की खास पहचान है मगर इन दिनों इसे लेकर जेएनयू में लड़ाई छिड़ी हुई है.

2013 में खत्म हो गई थी ढाबे की लीज 2013 में खत्म हो गई थी ढाबे की लीज
मोनिका शर्मा/मणिदीप शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय देश की जितनी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी है, उतने ही लोकप्रिय उसके तमाम प्रतीक भी हैं. जेएनयू में दाखिल होते ही दायीं तरफ मौजूद गंगा ढाबा जेएनयू की खास पहचान है मगर इन दिनों इसे लेकर जेएनयू में लड़ाई छिड़ी हुई है.

लीज हो चुकी है खत्म
गंगा ढाबे के सामने अमूमन जेएनयू के छात्र चाय की चुस्कियां लेते हैं और चर्चा करते हैं. मगर इन दिनों नारे लगने की वजह है जेएनयू प्रशासन का वो नोटिस जिसमें गंगा ढाबे को रिटेंडर करने की बात कही गई है. दरअसल जेएनयू प्रशासन ने वर्तमान में गंगा ढाबे को चला रहे सुशील राठी को ढाबा खाली करने का नोटिस दिया है ताकि नया टेंडर जारी किया जा सके. 2013 में सुशील राठी की लीज खत्म हो चुकी है. अब जेएनयू प्रशासन यहां फ्रेश टेंडर जारी करना चाहता है, जिसके लिए ढाबा खाली करना होगा.

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छात्र कर रहे हैं विरोध
वहीं दूसरी तरफ इस नोटिस का विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि प्रशासन जेएनयू के डिबेट कल्चर को खत्म करना चाहता है. इसलिए पहले से मौजूद प्रतीकों को खत्म कर रहा है. छात्रों का आरोप है कि फ्रेश टेंडर के नाम पर लंबा समय लिया जाएगा और फिर गंगा ढाबा बंद कर दिया जाएगा, इसलिए छात्र इस फरमान का विरोध कर रहे हैं.

प्रशासन की नीयत पर उठाए सवाल
जाहिर है एक तरफ प्रशासन कह रहा है कि ये सिर्फ फ्रेश टेंडर की प्रक्रिया है, जोकि 2013 में ही होनी थी मगर नहीं हुई. दूसरी तरफ छात्र संगठनों का कहना है कि प्रशासन की नीयत साफ नहीं है और वो ढाबे को बंद करना चाहता है.

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