
दिल्ली की राउस आईएएस स्टडी सर्किल कोचिंग में पानी भरने से दो छात्राओं और एक छात्र की मौत हो गई है. इस हादसे के बाद उन परिवारों की उम्मीदें भी टूट गई हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को दिल्ली भेजकर IAS बनने का सपना देखा था. अंडरग्राउंड कोचिंग, मैन मेड बाढ़ और घोर लापरवाही सिस्टम सवाल खड़े कर रहे हैं. गम और गुस्से से लबरेज स्टूडेंट्स सड़कों पर उतर आए हैं. पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिए जाने की मांग उठ रही है. दोषियों पर एक्शन लिए जाने का दबाव बनाया जा रहा है. जांच में कई खामियां निकलकर सामने आ रही हैं. जानिए घटना को लेकर क्या 7 बड़े सवाल...
घटना के वक्त बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी में स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे थे और वहीं फंस गए. इन स्टूडेंट्स को बाहर निकलने तक का मौका नहीं मिला. कोचिंग संचालक ने बेसमेंट में लाइब्रेरी बनाई है. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और दो गिरफ्तारियां की हैं. इनमें कोचिंग सेंटर का मालिक और कोऑर्डिनेटर शामिल है. जिन स्टूडेंट्स की जान गई है, उनमें उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की श्रेया यादव, तेलंगाना की तान्या सोनी और केरल के एर्नाकुलम के नवीन डल्विन का नाम शामिल है. एफआईआर के मुताबिक, कोचिंग सेंटर के मालिक स्वीकार किया कि बेसमेंट में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण हादसा हुआ है. दिल्ली पुलिस ने घटना के कारण की जांच के लिए कई टीमें गठित की हैं. अब तक की जांच में घटना के दो मुख्य कारण सामने आए हैं. पहला, मानसून की शुरुआत से पहले सड़क किनारे नालियों की साफ-सफाई नहीं हो सकी और दूसरा, बेसमेंट जहां लाइब्रेरी थी, वहां पानी निकालने की कोई व्यवस्था नहीं थी.
1. क्या हुआ था?
ये पूरा मामला ओल्ड राजेंद्र नगर का है. शनिवार शाम करीब 6.20 बजे भारी बारिश हुई और मुख्य सड़क पर पानी भर गया. प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि RAU'S IAS स्टडी सर्किल के बेसमेंट में लाइब्रेरी है और वहां स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे थे. कोचिंग सेंटर में पानी जाने से रोकने के लिए गेट बंद किया गया था. इस बीच, कुछ वाहनों के स्पीड से गुजरने के कारण प्रेशर बढ़ा तो पानी कांच का गेट तोड़कर सीढ़ियों से बेसमेंट में जाने लगा और दो मिनट के अंदर 10 से 12 फीट तक पानी अंदर समां गया. लाइब्रेरी में बैठे 30 से ज्यादा स्टूडेंट्स फंस गए.
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2. बाहर क्यों नहीं निकल पाए स्टूडेंट्स?
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि बेसमेंट के दरवाजे पर कुछ दिन पहले ही बायोमैट्रिक सिस्टम लगाया गया था. स्टूडेंट्स की एंट्री बायामैट्रिक तरीके से होती है. पंच करने से ही गेट खुलता है. संभवत: पानी भरने और बिजली सप्लाई ना होने से बायोमैट्रिक सिस्टम फेल गया. ऐसे में अंदर फंसे स्टूडेंट्स बाहर नहीं निकल सके. शॉर्ट सर्किट या बिजली बंद होने से ये सिस्टम काम नहीं करता है. प्रत्यक्षदर्शी स्टूडेंट्स बताते हैं कि बहाव बेहद तेज था. बाहर निकलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा था. कई स्टूडेंट्स को रस्सियों की मदद से निकाला गया.
3. क्या पहली बार पानी भरा था?
यह पहली बार नहीं है. हफ्तेभर पहले भी बारिश के बाद इसी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर गया था. उस समय छात्रों को ऊपर ही रोक दिया गया था. यानी किसी स्टूडेंट्स को नीचे नहीं जाने दिया गया था. छात्र बताते हैं कि बेसमेंट में पानी की वजह से कई बार तो क्लास तक कैंसिल हो चुकी हैं. एमसीडी के एक अधिकारी ने कहा, सुरक्षा उपाय सुनिश्चित नहीं किए गए. संस्थान के मालिक की घोर लापरवाही पाई गई है. बेसमेंट में लाइब्रेरी अवैध रूप से चल रही थी. इसमें सिर्फ एक एंट्री और एग्जिट पॉइंट था और ये बायोमेट्रिक था. बाढ़ के कारण सिस्टम बंद हो गया था. अगर एग्जिट फ्री होता तो छात्र भाग सकते थे. उन्होंने कहा, बारिश होने से अतिरिक्त पानी जमा हो गया था. सड़क किनारे नालियों को अतिक्रमणकारियों ने ढक दिया, जिससे बाढ़ का सैलाब सड़कों पर आ गया.
4. स्टूडेंट्स किसे जिम्मेदार बता रहे?
घटना के बाद स्टूडेंट्स में नाराजगी है. वे कोचिंग सेंटर्स, दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (MCD) को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और सड़क पर उतर आए हैं. रविवार को स्टूडेंट्स ने धरना-प्रदर्शन किया और करोल बाग मेट्रो स्टेशन के बाहर पूसा रोड जाम कर दिया. बाद में छात्र सतपाल भाटिया मार्ग पर बैठ गए. स्टूडेंट्स का कहना था कि बेसमेंट में अवैध तरीके से लाइब्रेरी संचालित की जा रही है. वहां सुरक्षा तक के कोई उपाय नहीं हैं. सबसे पहले बेसमेंट में चलने वाली सभी लाइब्रेरी बंद होनी चाहिए. रविवार को दिनभर ओल्ड राजेंद्र नगर इलाका छावनी बना रहा और लगभग सभी कोचिंग सेंटर बंद रहे.
एमसीडी के अनुसार, कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग को 2021 में सिबिक बॉडी द्वारा अनुमोदित किया गया था. इंस्टीट्यूट के बिल्डिंग कंप्लीशन सर्टिफिकेट में साफ लिखा है कि बेसमेंट का इस्तेमाल सिर्फ पार्किंग और स्टोरेज के लिए किया जा सकता है. इसका मतलब है कि लाइब्रेरी बेसमेंट में अवैध रूप से चल रही थी. स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि शनिवार को दिल्ली के कुछ हिस्सों में हुई बारिश के कारण इलाके की नालियां गाद से भर गईं और ओवरफ्लो हो गईं, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई.
5. कौन गिरफ्तार हुआ?
हादसे के दोनों आरोपियों कोचिंग सेंटर के मालिक अभिषेक गुप्ता और कोऑर्डिनेटर देशपाल सिंह को राजेंद्र नगर थाना पुलिस ने गिरफ्तारी कर लिया. उसके बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. कोचिंग सेंटर को सील कर दिया गया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों समेत बिल्डिंग मैनेजमेंट, ड्रैनेज सिस्टम की देखभाल करने वाले नगर निगम कर्मियों और अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की विभिन्न धाराओं में FIR दर्ज की है. पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 106 (1) (जो कोई भी बिना सोचे-समझे या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करके किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता है), 115 (2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा) और 290 (बिल्डिंगों को गिराने, मरम्मत करने या निर्माण करने के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण) के तहत एफआईआर दर्ज की है.
6. क्यों मैन मेड बाढ़ और कागजी सिस्टम?
इस त्रासदी को मानव जनित बाढ़ कहा जा रहा है. इस घटना की जड़ में घोर लापरवाही और बेलगाम भ्रष्टाचार भी समाया हुआ है. यही वजह है कि पूरे इलाके में अवैध तरीके से बेसमेंट में कोचिंग सेंटर्स का खुलेआम संचालन किया जा रहा है. सवाल उठ रहा है कि जब बेसमेंट में स्टोर या पार्किंग की अनुमति थी तो वहां लाइब्रेरी कैसे संचालित की जा रही थी? स्पष्ट है कि कोचिंग संचालकों और दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा हो रहा होगा. स्थानीय लोग कहते हैं कि इस इलाके में बारिश की वजह से हर समय जलभराव होता है, लेकिन किसी का ध्यान नहीं जाता है. जांच के नाम पर लीपा-पोती हो सकती है. पिछले साल उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर में स्थित एक कोचिंग सेंटर में भीषण आग लग गई थी, जिसके बाद एमसीडी ने ऐसे कोचिंग सेंटरों का सर्वे किया था. उस समय कई छात्रों को आग से बचने के लिए बिल्डिंग से कूदने पर मजबूर होना पड़ा था.
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सर्वे में एमसीडी ने पाया कि राउ कोचिंग सेंटर ने बेसमेंट से लेकर तीसरी मंजिल तक बिल्डिंग रेगुलेशन का उल्लंघन किया है. अगस्त 2023 में एमसीडी ने कोचिंग सेंटर के मालिक को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसके बावजूद दुरुपयोग बंद नहीं हुआ. इस साल 9 जुलाई को बिल्डिंग मालिक ने अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त कर लिया. हालांकि, बेसमेंट और उसके ऊपर की तीन मंजिलों का दुरुपयोग जारी रहा. इसके परिणामस्वरूप बेसमेंट में पानी भर गया.
7. अब क्या कर रहा है MCD?
हालांकि, घटना के बाद दिल्ली नगर निगम एक्शन में आया और अवैध कोचिंग सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. रविवार देर रात तक ऐसे करीब 13 कोचिंग सेंटरों को सील कर दिया गया. MCD ने यह भी कहा कि जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा. हालांकि, सवाल यह भी उठ रहे हैं कि दिल्ली नगर निगम के उन कर्मचारियों और अधिकारियों की अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई जो सब कुछ जानते हुए इस संस्थान को बेसमेंट में लाइब्रेरी चलाने की सुविधा प्रदान किए हुए थे.
रविवार को जिन कोचिंग सेंटर्स को सील किया गया, उनमें ईएएस गुरुकुल, चहल एकेडमी, प्लूटस एकेडमी, साई ट्रेडिंग, आईएएस सेतु, टॉपर्स एकेडमी, दैनिक संवाद, सिविल्स डेली आईएएस, करियर पावर, 99 नोट्स, विद्या गुरु, गाइडेंस आईएएस और ईजी फॉर आईएएस शामिल हैं. ये कोचिंग सेंटर नियमों का उल्लंघन कर बेसमेंट में संचालित पाए गए और उन्हें मौके पर ही सील कर दिया गया और नोटिस चिपका दिए गए. राउस आईएएस स्टडी सर्किल को पुलिस ने शनिवार को ही सील कर दिया था.
दिल्ली पुलिस अब MCD के अधिकारियों से पूछताछ करेगी. पुलिस इस इलाके में जिस अधिकारी की ड्रैनेज सिस्टम ठीक करने की जिम्मेदारी है, उससे पूछताछ करेगी. इस संबंध में MCD को नोटिस जारी किया जाएगा और जानकारी मांगी जाएगी. दिल्ली पुलिस ने FIR में वाटर ड्रैनेज सिस्टम देखने वालों को भी आरोपी बनाया है.