
मुंबई में शनिवार शाम को एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. मुंबई क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अब तक छह आरोपियों की पहचान कर ली है. पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि तीन आरोपी अभी-भी फरार है. इस हत्याकांड के पीछे भले ही जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का नाम आ रहा हो, लेकिन इस हत्याकांड का अंडरवर्ल्ड कनेक्शन भी तलाशे जा रहे हैं. मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच 15 टीमें अलग-अलग जगहों पर जांच कर रही है. कभी बाबा सिद्दीकी के खिलाफ UPATS ने भी जांच की थी. इसी मामले की जांच करने वाले इंस्पेक्टर अविनाश मिश्रा ने जांच की थी.
अविनाश मिश्रा ने आजतक को बताया कि ये बड़े दुखद बात है. मेरा बहुत ज्यादा उनसे कोई संपर्क नहीं था. जांच के सिलसिले में ही उनसे एक-दो बार बात हुई थी. और बाकी कनेक्शन क्या है ये तो बॉम्बे पुलिस देखेगी. जब उनसे उनकी जांच के बारे में पूछा गया कि वो क्या मामला था, तो उन्होंने कहा कि देखिए, काफी पुरानी बात हो गई मेरे ख्याल से ये बात 2015-16 की है. मुझे ये तो बहुत अच्छे से अब याद भी नहीं है. एक एप्लीकेशन आई थी, कोई हाफिज नाम के व्यक्ति ने शिकायत दी थी. वो बॉम्बे बेस था, लेकिन दुबई रहता था. उसने एप्लीकेशन दी थी कि साहब मेरे बीस करोड़ रुपये बाबा सिद्दीकी नहीं दे रहे हैं और मांगते हैं तो जान से मारने की धमकी देते हैं और आज मैं लखनऊ आया हुआ था. मुझे यहां भी जान से मारने की धमकी दी गई थी. वो जांच मैंने की थी, मैंने उसका स्टेटमेंट लिया और उसके बाद फिर मैंने बाबा सिद्दीकी से संपर्क किया कि भाई आप अपना बयान दर्ज करा दीजिए, या तो लखनऊ आ जाइए या मैं बॉम्बे आ जाता हूं. और इसी तरह आप पर आरोप लगे हैं तो उनका ठीक है, मैं बताता हूं.
प्रॉपर्टी का था वो मामला
उन्होंने बताया कि फिर उसके बाद मैंने शिकायत करने वाले स्टेटस चेक करने का सोचा कि भाई ये बीस करोड़ की बात कर रहा है. ये इस काबिल है भी या नहीं. तो बाद में मालूम पड़ा की उसका कोई स्टेटस नहीं है. उसने कोई पैसा-वैसा उसका नहीं है. वो डी-कंपनी का पैसा है और कोई बॉम्बे की एक प्रॉपर्टी थी. बड़ी प्रॉपर्टी थी, उस प्रॉपर्टी का एक समझौता कराया गया था. जिसमे से बीस करोड़ रुपये डी-कंपनी को जाने थे. वो पैसा डी- कंपनी को नहीं गया था. इसी बात को लेकर कई बार फिर उसने उसको मैंने ग्रिल किया फिर कंप्लेंट. तो मैंने पूछताछ की तो उसने बताया कि वो फोन नहीं उठाते, बात नहीं करते, पैसा नहीं दे रहे है, क्योंकि यूपी पुलिस अच्छे से काम कर रही है. अंडरवर्ल्ड पर तो हमने यहां शिकायत करवा दी थी. तो मैंने उसको खैर अपने हिसाब से पुलिसिंग की और मैंने उसको सिर्फ इस बात पर छोड़ा कि तुम मेरे आदमी वहां पर एंट्री कराओ.
'मैंने 2 मुखबिरों को डी-कंपनी में कराई एंट्री'
उन्होंने बताया कि उस व्यक्ति ने मेरे प्रेशर बनाने के बाद दो लड़कों को डी-कंपनी में एंट्री दी ला दी. और मुझको बहुत इन्फॉर्मेशन मिली, जिसमें फिल्मी जगत के बहुत से अभिनेताओं की जान बची. उसमें से वो मैंने बॉम्बे पुलिस को इन्फॉर्म किया. उन्होंने अपने सिक्योरिटी की ये की और यूपी में भी क्राइम बहुत बचा. उसके बाद मैंने जब मेरी समझ में आ गया की नहीं ये मसला दूसरा है तो फिर मैंने उसमें एक रिपोर्ट लगा दी की भाई ये मसला, क्योंकि बॉम्बे से रिलेटेड है. लखनऊ में जो ये ऐप्लिकेशन दी गई है, ये फर्जी है. इधर इस तरह की कोई बात नहीं हुई और वो फिर ऐप्लिकेशन का मैंने निस्तारण कर दिया था.
अविनाश मिश्रा ने आगे बताया कि देखिए जो एक बार टारगेट बना लेता है कि मुझको ये करना है. फिर वो समय का इंतजार करता है कि कब सिक्योरिटी में लापरवाही हो, कब कोई ऐसा मौका मिले कि इसमें सामने वाला व्यक्ति लापरवाही हो जाए, वो श्रेणी की हो या जेट श्रेणी की हो. फिर अपराधी क्राइम को अंजाम देता है और मेरे साथ भी बहुत सिक्योरिटी रही, बहुत अलर्ट रहता था. सब लोग रहते थे. अब नहीं है सिक्योरिटी तो ये देखना चाहिए गवर्नमेंट को. और अधिकारियों को कि बड़ा सीरियस मामला होता है. ये जो कई सालों बाद लोग बदला लेते हैं तो मुझे लगता है कि यही बाबा सिद्दीकी के साथ हुआ है.
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