Advertisement

Uphar Grand cinema hall fire: उपहार कांड: सुशील अंसल ने पासपोर्ट आवेदन में भारत सरकार को गुमराह किया

Uphar Grand cinema hall fire: अदालत ने कहा कि 2013 में तत्काल योजना के तहत पासपोर्ट के लिए आवेदन के समय अंसल ने हलफनामे में गलत जानकारी दी.

उपहार ग्रांड सिनेमा हॉल (पीटीआई फोटो) उपहार ग्रांड सिनेमा हॉल (पीटीआई फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 1:59 AM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि साल 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड के दोषी रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने पासपोर्ट के लिए भारत सरकार को गुमराह किया.

अदालत ने कहा कि 2013 में तत्काल योजना के तहत पासपोर्ट के लिए आवेदन के समय अंसल ने हलफनामे में गलत जानकारी दी. अदालत ने कहा कि इस संबंध में उचित कार्यवाही की ‘जरूरत होगी.’ जस्टिस नाजमी वजीरी ने 17 दिसंबर को पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देते हुए ये टिप्पणियां कीं. अंसल की ओर से उपहार कांड में अपनी दोषसिद्धि छिपाए जाने के बावजूद इन अधिकारियों ने 2013 में उसके पक्ष में सत्यापन रिपोर्ट दी थी. पुलिस की सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें पासपोर्ट जारी हुआ था.

Advertisement

अदालत ने कहा कि जब नया आवेदन किया जाता है तो आवेदन में सारी आवश्यक जानकारी उपलब्ध करानी होगी. अदालत ने विदेश मंत्रालय से कहा है कि वह इस मामले में गौर करे और चार सप्ताह के भीतर सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट पेश करे. अदालत ने यह निर्देश देते हुए अंसल की तरफ से दी गई इस दलील को भी खारिज कर दिया कि जब कोई नागरिक तत्काल योजना के तहत यात्रा दस्तावेज के लिए आवेदन करता है तो उससे मांगी गई जानकारी देने के लिए पासपोर्ट कानून के तहत उसे मजबूर नहीं किया जा सकता.

अदालत ने कहा कि योजना जरूरी स्थिति में पासपोर्ट जारी करने की ‘विशेष व्यवस्था’ है और यह सरकार की ओर से मांगी गई  जानकारी मुहैया कराने पर उपलब्ध होगी. अदालत ने कहा कि अंसल ने लाभ लिया और हलफनामे पर कहा कि उन्हें कभी भी किसी फौजदारी अदालत ने किसी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया है.

Advertisement

अदालत ने कहा, ‘साल 2007 में उन्हें दोषी ठहराया गया था और 2008 में उनकी सजा घटाकर एक साल कर दी गई थी जिसे 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने और कम कर दिया था. जब अंसल ने हलफनामा दायर किया, उन्हें सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए था कि उन्हें इस अदालत से दोषी ठहराने के बाद कम से कम एक साल की सजा हो चुकी है.’

अदालत ने ‘उपहार हादसा पीड़ित संगठन’ (एवीयूटी) की ओर से अपने अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति के जरिये दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. इस संगठन ने अंसल को यात्रा दस्तावेज जारी करने में पासपोर्ट और पुलिस अधिकारियों के कथित आपराधिक कदाचार की सीबीआई से जांच कराने की मांग की. दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके में स्थित उपहार सिनेमाघर में 13 जून, 1997 को हिंदी फिल्म ‘बॉर्डर’ चलने के दौरान आग लग गई थी जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement