
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे में झारखंड का रहने वाला 22 साल का महादेव भी फंसा हुआ है. महादेव टनल में मजदूरी का काम कर रहा था. महादेव के परिवार वालों को पता भी नहीं चल पाता कि महादेव टनल में फंसा हुआ है, अगर टनल से महादेव की आवाज नहीं आती.
टनल में फंसा महादेव अपने उस मामा से बातचीत कर रहा है, जो उसके साथ टनल में ही काम कर रहा था. ये बातचीत महादेव ने walki talki से अपने मामा से की है. इस बातचीत में महादेव उड़िया भाषा में बोल रहा है कि 'मुझे बाहर निकालो, परिवार वालों को बोल देना कि चिंता न करें.'
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झारखंड में मौजूद महादेव के भाई Bonu Nayak को जब अपने भाई की ये आवाज सुनाई पड़ी, तब परिवार को पता चला कि महादेव टनल में फंसा हुआ है. परिवार परेशान है. परिवार का कहना है कि प्रशासन दावा कर रहा है कि रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है, जल्द महादेव को निकाल लिया जाएगा. हालांकि अभी तक रेस्क्यू टीम को सफलता नहीं मिल सकी है.
सुरंग के अंदर फंसे हैं 7 राज्यों के 40 मजदूर
बता दें कि सुरंग के अंदर 7 राज्यों के 40 मजदूर फंसे हुए हैं. इस घटना को करीब 100 घंटे हो चुके हैं. हादसे का आज 5वां दिन है, लेकिन अब तक किसी भी मजदूर को नहीं निकाला जा सका है.
रेस्क्यू में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत कई नागरिक सुरक्षा बलों के जवान जुटे हुए हैं. मलबे के बीच बड़े पाइप से पहले एक छोटा 11 एमएम का पाइप भी डाला गया, जो काफी आगे तक चला गया. इस परीक्षण के बाद रेस्क्यू टीम अब इसी जगह से 900 एमएम का पाइप भी डालने की कोशिश करेगी.
पाइप डालकर उनमें बिछाई जाएगी पटरी
सूत्रों का कहना है कि टनल से श्रमिकों को निकालने के लिए इन्हीं पाइप में पटरी भी लगाई जाएगी, जिससे श्रमिकों को पाइप से निकलने के लिए जूझना न पड़े. 800 एमएम और 900 एमएम के पाइप मंगाए गए हैं. पहले घंटे के ट्रायल के बाद साफ हो जाएगा कि मशीन अपनी क्षमता 5 मि ड्रिल प्रति घंटा की क्षमता से काम कर पाएगी कि नहीं.
नॉर्वे और थाईलैंड के विशेषज्ञों की ली जा रही मदद
इस रेक्स्यू में बचाव एजेंसियों को अभी तक कोई सफलता नहीं मिल सकी है. मलबा हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए बड़ी ऑगुर मशीनें लगाई जा रही हैं. नॉर्वे और थाईलैंड के विशेषज्ञों की सलाह भी ली जा रही है.
800 मिमी का पाइप डालने के लिए करीब 50 मीटर तक के मलबे को प्रेश किया जाएगा. संचार माध्यम से फंसे श्रमिकों की मानसिक स्थिति पर नजर रखी जा रही है.
कैसे हुआ हादसा?
बता दें कि ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच सुरंग बन रही थी. इसका एक हिस्सा रविवार की सुबह ढह गया था, जिसमें 40 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इस सुरंग की कुल लंबाई 4.5 किलोमीटर है. इसमें सिल्क्यारा के छोर से 2,340 मीटर और डंडालगांव की ओर से 1,750 मीटर तक निर्माण किया गया है.
सुरंग के दोनों किनारों के बीच 441 मीटर की दूरी का निर्माण होना था. अधिकारियों ने कहा था कि सुरंग सिल्क्यारा की तरफ से ढही है. सुरंग का जो हिस्सा ढह गया, वह एंट्री गेट से 200 मीटर की दूरी पर था.