
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को VVIP गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन और राज्यचिह्न लगाने के संबंध में नियमों को स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं. सुरक्षा के मद्देनजर राष्ट्रपति समेत संवैधानिक पदों पर बैठे गणमान्य लोगों की कारों पर राज्यचिह्न के बदले रजिस्ट्रेशन नंबर होने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया.
हाइकोर्ट ने कहा कि इस मामले में वर्तमान स्थिति की जांच की जाए और इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन न होने की वजह और नियमों को लेकर 20 दिसंबर को होने वाली सुनवाई पर दोनों सरकारें अपनी पक्ष स्पष्ट करें.
दरअसल, हाईकोर्ट मे याचिका लगाई गई है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई संवैधानिक पदों पर बैठे लोंगों के लिए इस्तेमाल होनी वाली गाड़ियों का मोटर व्हीकल एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया गया है. याचिका में कहा गया है कि बिना रजिस्ट्रेशन की ऐसी गाड़ियां न सिर्फ आतंकवादियों के लिए आसान शिकार हैं, बल्कि अगर इन गाड़ियों से किसी का एक्सीडेंट होता है तो वो व्यक्ति या उनका परिवार इंश्योरेंस भी क्लेम नही कर सकता.
इसके अलावा आम लोगों में भी एक ग़लत संदेश जाता है कि डेमोक्रेसी में नियम सबके लिए बराबर नही हैं. याचिका में उठाए गए सवालों को लेकर हाइकोर्ट ने कहा कि निश्चित तौर पर प्रोटोकॉल और नियम होना चाहिए. इसकी स्पष्ट स्थिति कोर्ट के सामने पेश की जानी चाहिए. कोर्ट की यह टिप्पणी एक गैर सरकारी संस्था न्यायभूमि की जनहित याचिका पर आई है, जिसमें राज्यचिह्न की जगह पर राष्ट्रपति समेत अन्य संवैधानिक प्राधिकारों और गणमान्य लोगों की कारों पर गाड़ी को पंजीकरण संख्या को दिखाने की मांग की है.
याचिका में ये भी मांग की गई कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पंजीकरण के बगैर राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति, राजनिवास और विदेश मंत्रालय द्वारा इस्तेमाल की गई गाड़ियों को जब्त किया जाए. प्रोटोकाल विभाग द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कारों को मोटर वाहन कानून के तहत पंजीकृत नहीं कराने को लेकर जब्त करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है.