
दिल्ली नगर निगम चुनाव में पहली बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने कदम रखा है. 4 दिसंबर को होने वाले चुनाव में एआईएमआईएम ने 15 वार्ड में अपने उम्मीदवारों को उतारा है. ये 15 वार्ड मुस्लिम बहुल इलाके वाले माने जाते हैं. कहा जा रहा है कि ये उम्मीदवार कई पार्टी के समीकरण को बिगाड़ सकते हैं.
लंबे वक्त से दिल्ली की मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में या तो कांग्रेस को वोट पड़ता रहा है या फिर आम आदमी पार्टी को, लेकिन कभी भी दिल्ली के मुस्लिम वोटरों ने बीजेपी का साथ नहीं दिया. मुस्लिम समाज की अक्सर एक शिकायत भी रहती है कि जब-जब हम जिस पार्टी में गए, वहां हमको सम्मान नहीं दिया.
मुस्तफाबाद, सीलमपुर, जाफराबाद, जाकिर नगर, शाहीन बाग, बाटला हाउस, जगतपुरी समेत कुल 15 ऐसे वार्ड हैं, जहां AIMIM प्रमुख ओवैसी ने अपने उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार किया है. इस दौरान ओवैसी ने दिल्ली के सीएम और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा. यहां तक कि केजरीवाल को छोटा रिचार्ज बताया है. मुसलमान की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया और कहा- दिल्ली सरकार ने कोरोनाकाल में मरकज को बंद कर दिया था.
क्या कहते हैं वोटर्स...
ओवैसी ने रैलियों के जरिए जिस तरह केजरीवाल सरकार पर हमला किया, उसे देखते हुए क्या मुस्लिम वोटर इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का साथ छोड़ेंगे और एआईएमआईएम के साथ जाएंगे? यह जानने के लिए आजतक की टीम मुस्लिम मतदाताओं के बीच पहुंची. सीलमपुर वार्ड में इस बार मुस्लिम मतदाता ना तो पूरी तरीके से कांग्रेस के पास जा रहे हैं और ना आम आदमी पार्टी के और ना ही एआईएमआईएम के उम्मीदवार के साथ सीलमपुर की जनता निर्दलीय उम्मीदवार को चुनावी मैदान में जिताने का दावा कर रही है. उनका कहना है कि इस बार जो निर्दलीय उम्मीदवार है, वो पहले भी यहां से दो बार निगम पार्षद रह चुका है. इस बार फिर चुनाव में खड़ा है. कोरोना महामारी के दौरान इस निर्दलीय उम्मीदवार ने काफी काम किया है, इसलिए वो उसके साथ जाएंगे. ओवैसी के उम्मीदवार उतरने के बाद दिल्ली में मुस्लिम सीट पर समीकरण इस बार कुछ अलग ही नजर आएंगे. लोगों की नाराजगी आम आदमी पार्टी से भी है और कांग्रेस से भी.
वोटर्स में AAP लेकर भी नाराजगी
मुस्तफाबाद वार्ड में ओवैसी के प्रचार करने के बाद लोगों ने बताया कि वे जो मुद्दे उठा रहे हैं, वह वाकई मुसलमानों के हित में हैं लेकिन दिल्ली में शुरुआत से ही दो पार्टियों का दबदबा रहा है जो पार्टी काम करेगी या जिसने पिछले कुछ सालों में थोड़ा बहुत भी काम किया है, वह उसके साथ जाएंगे. मुस्तफाबाद वो इलाका है, जहां पर 2020 में CAA को लेकर हिंसा हुई थी. ओवैसी ने अपनी चुनावी सभा में CAA को लेकर हिंसा का भी जिक्र किया और निशाना दिल्ली के मुख्यमंत्री और बीजेपी पर लगाया. मुस्तफाबाद के लोगों का कहना था कि जो मुद्दा उठाया गया है वह जायज है. आज तक दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कभी भी इन इलाकों का दौरा नहीं किया. मतदाताओं में आम आदमी पार्टी को लेकर थोड़ी नाराजगी है लेकिन यह नाराजगी का फायदा कांग्रेस को होगा- ये कहना जल्दबाजी होगा.
ओवैसी की रैलियों में जबरदस्त भीड़
ओवैसी की सभी 6 रैलियों में भारी भीड़ देखने को मिली है. ऐसी भीड़ ना तो अब तक कांग्रेस के किसी रैली में दिखी, ना बीजेपी की और ना ही आम आदमी पार्टी की. ओवैसी के चुनावी मैदान में उतरने के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मुस्लिम सीट पर समीकरण खराब होते दिखाई दे रहे हैं. ओवैसी ने ओखला साइन बाग में भी अपने उम्मीदवारों को उतारा है, जहां पर मुकाबला आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवारों के साथ है.
दिल्ली में 4 दिसंबर को वोटिंग
दिल्ली एमडीसी चुनाव की वोटिंग 4 दिसंबर को होगी और 7 दिसंबर को नतीजे आएंगे. सुबह 8 बजे से शाम साढ़े 5 बजे तक वोटिंग होगी. दिल्ली में विधानसभा 70 सीटें हैं. लेकिन, 2 सीटों चुनाव नहीं होंगे. ऐसे में 68 विधानसभा सीटों पर होंगे, इनमें 250 वार्ड हैं. इनमें से अनुसूचित जाति (SC) के लिए 42 सीटें आरक्षित की गई हैं. जबकि महिलाओं के लिए भी 50 फीसदी सीटें आरक्षित हैं.
इससे पहले दिल्ली नगर निगम में 272 सीटें थीं. पहले उत्तरी और दक्षिण नगर निगम 104-104 पार्षद सीटें थीं, जबकि पूर्वी दिल्ली में 64 सीटें हुआ करती थीं, लेकिन एकीकरण और परिसीमन के बाद 250 सीटें हैं. दिल्ली के 21 विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक वार्ड कम किए गए हैं तो एक विधानसभा में सीट बढ़ी भी है. इस तरह दिल्ली में 250 वार्डों में पार्षद के चुनाव होंगे.
पहले इतनी थी वार्डों की संख्या
दिल्ली में 1 जनवरी 2022 तक करीब 1.48 करोड़ मतदाता थे. गृह मंत्रालय (MHA) ने बीते मंगलवार को एमसीडी के परिसीमन के बाद नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके बाद एमसीडी चुनाव को लेकर रास्ता साफ हो गया था. गृह मंत्रालय द्वारा जारी 800 पन्नों के नोटिफिकेशन में कहा गया कि दिल्ली में नगर निगम के वार्डों की संख्या अब 250 होगी. नगर पालिका के एकीकरण से पहले 70 विधानसभा क्षेत्रों में 272 वार्ड हुआ करते थे.