
दिल्ली जल बोर्ड घोटाले के मामले में एंटी-करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने ज्वॉइंट डायरेक्टर नरेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. ये पूरा घोटाला 20 करोड़ रुपये की हेराफेरी से जुड़ा है. इस मामले में एसीबी ने पिछले साल दिसंबर में केस दर्ज किया था.
एसीबी ने जल बोर्ड के ज्वॉइंट डायरेक्टर नरेश सिंह को घोटाले में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है. उनसे पहले एसीबी ने तीन और लोगों को गिरफ्तार किया था.
बीते हफ्ते एसीबी ने जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, उनमें राजेंद्र नायर (ऑरम ई-पेमेंट का मालिक और डायरेक्टर), गोपी कुमार केडिया (ऑरम ई-पेमेंट का सीएफओ) और अभिलाष पिल्लई (फ्रेश पे सॉल्यूशन का डायरेक्टर और ऑरम ई-पेमेंट का अथॉराइज सिग्नेटरी) शामिल थे.
एसीबी ने तीन दिन तक रिमांड में लेकर इन तीनों आरोपियों से पूछताछ की थी. इसके बाद ही दिल्ली जल बोर्ड के ज्वॉइंट डायरेक्टर नरेश सिंह को गिरफ्तार किया गया है.
नरेश सिंह की गिरफ्तारी क्यों?
- क्योंकि, उन पर ऑरम ई-पेमेंट और फ्रेश पे के डायरेक्टर्स से लाखों रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है.
- क्योंकि, उन्होंने ऑरम और फ्रेश पे के साथ होने वाली बिल पेमेंट का मिलान नहीं किया, जबकि ये उनकी ड्यूटी थी.
- क्योंकि, 2015 में जब पहली बार ठेका बढ़ाया गया था, तब से उन्होंने ई-कियोस्क से बिल पेमेंट की वसूली के ठेके को 2020 तक साल दर साल बढ़ाने में फ्रेश पे की मदद की.
क्या है जल बोर्ड का घोटाला?
- ये पूरा मामला पानी के बिल के भुगतान से जुड़ा है. दरअसल, लोग आसानी से पानी के बिल को जमा कर सकें, इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड ने कॉर्पोरेशन बैंक (अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) को बिल कलेक्शन का जिम्मा सौंपा.
- कॉर्पोरेशन बैंक ने 2012 में तीन साल के लिए फ्रेश पे सॉल्यूशन के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट किया. कॉन्ट्रैक्ट के तहत दिल्ली जल बोर्ड के सभी दफ्तरों में ई-कियोस्क मशीनें लगनी थीं, ताकि लोग चेक या कैश के जरिए पानी का बिल जमा कर सकें.
- बाद में फ्रेश पे सॉल्यूशन ने ये ठेका ऑरम ई-पेमेंट को बढ़ा दिया. ये ठेका 2015 में खत्म हो गया था. इसे 2016, 2017, 2018 और फिर 2019 में बढ़ाया गया.
- न्यूज एजेंसी ने एसीबी अधिकारियों के हवाले से बताया है कि अक्टूबर 2019 में ये कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया था, लेकिन इसके बावजूद मार्च 2020 तक ऑरम ई-पेमेंट पैसा वसूलती रही.