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बीजेपी ने रेखा गुप्ता पर क्यों लगाया दांव, दिग्गजों को पछाड़ दिल्ली को कैसे मिली महिला मुख्यमंत्री

रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी अब महिला मुख्यमंत्रियों की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली ने कई महिला मुख्यमंत्री देखी हैं, जिनमें कांग्रेस की शीला दीक्षित का 15 साल का शासन भी शामिल है. साथ ही बीजेपी उन महिला वोटर्स पर भी फोकस कर रही है जिन्होंने चुनाव में पार्टी के पक्ष में जमकर मतदान किया है.

बीजेपी ने रेखा गुप्ता को क्यों चुना बीजेपी ने रेखा गुप्ता को क्यों चुना
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST

दिल्ली में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रहा सस्पेंस अब खत्म हो चुका है और बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है. रेखा गुप्ता दिल्ली की शालीमार बाग सीट से पहली बार विधायक चुनकर आई हैं और बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. साथ ही वह दिल्ली में मुख्यमंत्री का पद संभालने वाली चौथी महिला होंगी. इससे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी दिल्ली की सीएम रह चुकी हैं. 

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बीजेपी ने रेखा गुप्ता को क्यों चुना

मुख्यमंत्री पद की रेस में अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा से लेकर दिल्ली के अनुभवी नेता विजेंद्र गुप्ता जैसे कई दिग्गजों के नाम चल रहे थे. बावजूद इसके पार्टी ने रेखा गुप्ता पर दांव लगाया है. वैश्य समाज से आने वाली रेखा गुप्ता मूल रूप से हरियाणा के जींद से ताल्लुक रखती हैं. बीजेपी ने महिला मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी और सरकार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का साफ संदेश दे दिया है. बीजेपी 13 राज्यों में सत्ता में है लेकिन अब तक पार्टी की कोई महिला CM नहीं थी. हालांकि पहले बीजेपी की ओर से कई राज्यों में महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. 

रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी अब महिला मुख्यमंत्रियों की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली ने कई महिला मुख्यमंत्री देखी हैं, जिनमें कांग्रेस की शीला दीक्षित का 15 साल का शासन भी शामिल है. दिल्ली में AAP की आतिशी और बीजेपी की सुषमा स्वराज भी मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. कालकाजी से विधायक आतिशी भी पांच महीने तक कुर्सी पर रहीं. सितंबर 2024 में केजरीवाल के सीएम पद से हटने के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी मिली थी.

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महिला वोटर्स पर फोकस

सुषमा स्वराज 12 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की सीएम रहीं. उन्हें विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाया था. हालांकि प्याज की बढ़ती कीमतें समेत कई अन्य मुद्दों की वजह से बीजेपी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद दिल्ली में लगातार 15 साल तक शीला दीक्षित सीएम रहीं. अब फिर से अगले 5 साल दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री रहने की संभावना है. 

रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने चुनावी राजनीति और नीतियों में महिलाओं के प्रति बीजेपी की प्राथमिकता दिखाने की कोशिश की है. 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने 9 महिला उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से चार महिला उम्मीदवारों की जीत मिली है. वहीं, दिल्ली में 2025 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों से ज़्यादा मतदान किया. महिला वोटर्स का टर्नआउट 60.92% रहा, जबकि पुरुषों का 60.21 फीसदी था.

महिला मतदाताओं पर निर्भर रहने वाली AAP को इस चुनाव में हार मिली है, जबकि बीजेपी ने 70 में से 48 सीटें पाकर निर्णायक जीत हासिल की. वोटर्स को ध्यान में रखते हुए ही बीजेपी ने दिल्ली में महिलाओं पर फोकस करते हुए चुनावी घोषणापत्र में बड़े-बड़े वादे किए हैं. AAP की 2,100 रुपये की नकद राशि की तर्ज पर बीजेपी ने भी महिला समृद्धि योजना के तहत दिल्ली की महिलाओं को 2,500 रुपये हर महीने देने का ऐलान किया है. इसके अलावा महिलाओं के लिए चल रही बाकी वेलफेयर स्कीम भी लागू रखने की घोषणा की है.

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दिल्ली में गैर-विवादित नेता 

इसके अलावा दिल्ली में बीजेपी ने एक गैर-विवादित नेता का चुनाव किया है. रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा जैसे नेता अपने तीखे बयानों के लिए आलोचना का शिकार हो चुके हैं. साथ ही रेखा गुप्ता एक नया चेहरा भी हैं क्योंकि उन्होंने संसदीय चुनाव नहीं लड़ा है और दिल्ली के इतिहास में एक नया अध्याय लिखने के लिए एक नए चेहरे तौर पर वह आदर्श मॉडल हैं. रेखा गुप्ता करीब तीन दशक से बीजेपी से जुड़ी हुई हैं. उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने न केवल एक गैर-विवादित राजनेता को चुना है, बल्कि एक महिला नेता और एक नया चेहरा भी चुन लिया है.

रेखा गुप्ता को सीएम बनाने के फैसले पर राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष ने कहा कि बीजेपी ने एक महिला को सीएम बनाकर अच्छा फैसला लिया है क्योंकि वह पार्टी के भीतर और बाहर एक गैर-विवादित नेता हैं. साथ ही उनके सत्ता संभालने के बाद टकराव की संभावना भी कम है. वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने कहा कि इस फैसले के जरिए बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. उन्होंने कहा कि वह वैश्य समाज से आती हैं जो दिल्ली में बीजेपी का कोर वोट बैंक है, इसके अलावा वह महिला सीएम के तौर पर सबको साथ लेकर चलने की क्षमता रखती हैं.

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पार्टी के इस फैसले से ये भी पता चलता है कि मुख्यमंत्री के चुनाव में बीजेपी हमेशा एक जैसी रणनीति नहीं अपनाती. लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी जूनियर नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया था. लेकिन लोकसभा चुनावों में हुए नुकसान के बाद उसने हरियाणा में नायब सिंह सैनी और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया, जो इस पद के दावेदारों की रेस में सबसे ऊपर थे. हर कोई यही सोच रहा था कि दिल्ली में भी पार्टी किसी ऐसे नेता को ही मुख्यमंत्री बनाएगी, जो इसके दावेदारों की सूची में सबसे ऊपर है. लेकिन बीजेपी ने ऐसा ना करके मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मॉडल को अपनाया और 50 वर्ष की रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया, जो पहली बार विधायक चुनकर आई हैं.

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