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नॉमिनेशन शुरू होने के साथ ही अब एमसीडी चुनावों में प्रचार की रफतार तेज हो गई है. नेताओं का प्रचार इस बार कुछ अलग है. हर नेता जनसंपर्क करते वक्त भीड़ से घिरा रहना चाहता है. जहां चुनाव के मौके पर दो-चार आदमी परमानेंट प्रचार कार्यालयों में लगे रहते हैं. वहीं नेताओं के साथ हमेशा लोगों का घेरा मौजूद रहता है.
आमतौर पर बाउंसर रखने वालों में सेलेब्रिटी ही हुआ करते थे, पर अब नेताओं के साथ भी बाउंसर दिख रहे हैं. कई नेता सिक्योरिटी के लिए प्राइवेट बाउंसर भी ले रहे हैं. सिक्योरिटी के साथ ही पॉलिटिक्स में अपने ग्लैमर अंदाज को चमकाने के लिए भी बाउंसर का सहारा लिया जा रहा है.
स्टेटस सिंबल के साथ सुरक्षा भीचुनाव लड़ रहे नेताओं को रोजाना जनता के बीच जाना पड़ता है. कई बार विरोधी दलों के वर्चस्व के सामने टिकने के लिए बाउंसर को पूरे दिन अपने क्लाइंट की सुरक्षा में तैनात रहना पड़ता है. उसके साथ साए की तरह रहना होता है. ऐसे में उसकी पेमेंट बॉडी की मजबूती और पर्सनैलिटी के आधार पर तय होती है. उन्हें 1000 रुपये प्रति दिन से लेकर 3 हजार रुपये प्रति दिन तक दिया जाता है. वहीं जरूरत पड़ने पर लेडीज बाउंसर भी उपलब्ध हो जाती हैं.
भीड़ भी मिलती है किराए पर, पर नेता मार जाते है पैसा
बाहरी दिल्ली की सिक्योरिटी कंपनी ने दावा किया कि वो चुनाव प्रचार के लिए भीड़ और समां बांधने के लिए अच्छे वक्ता तक का जुगाड़ कर देगी. एजेंसी का कहना है कि हारने के बाद नेता पैसे देने में खूब आनाकानी करते हैं. वहीं जीतने के बाद उनसे पैसे निकालना और भी कठिन हो जाता है. इसलिए ये एजेंसियां आधा पेमेंट एडवांस में ले लेते हैं.
कई जगह कांट्रैक्ट के बाद ही सेवावहीं दिल्ली की बड़ी सिक्योरिटी एजेंसियां पूरे नियम कायदे का पालन करने के बाद ही सेवाएं देती हैं. भीखाजी कामा प्लेस की एक सिक्योरिटी एजेंसी प्रिज्म साल्यूशंस के डी.के राजपूत का कहना है कि हम लोग बाद के किसी विवाद से बचने के लिए पहले से ही कांट्रैक्ट के बाद सेवा देते हैं.