
शादी के बाद पति को शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार करना और पति पर दूसरी महिला से संबंध होने का झूठा आरोप लगाना क्रूरता की श्रेणी में आता है और यह तलाक का मजबूत आधार हो सकता है. दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका का निपटारा करते हुए ये टिप्पणी दी है.
यह टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महिला की याचिका रद्द करते वक़्त दी. महिला ने निचली अदालत के पिछले साल जून 2016 में उसके पति के तलाक आवेदन को स्वीकार करने के फैसले के खिलाफ लगाई थी.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने सही तथ्यों पर तलाक का आवेदन स्वीकार किया है. महिला का पति तलाक के ठोस आधार को पेश करने में सफल रहा है. ऐसे में निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप का कोई आधार हाई कोर्ट के पास नहीं है. पति ने तर्क रखा था कि फरवरी 2002 में उसकी शादी हुई थी और तभी से पत्नी अलग रह रही है और यह उसके प्रति क्रूरता है.
हाई कोर्ट ने कहा कि महिला याचिकाकर्ता अपने आरोपो को साबित नहीं कर पाई. महिला याचिकाकर्ता ने भी माना कि उसके पति के साथ शारीरिक संबंध नहीं बने थे. इन्ही तथ्यों को आधार बनाकर हाईकोर्ट ने न सिर्फ पति की तलाक की अर्जी को जायज ठहराया, बल्कि पत्नी के आरोपों और व्यवहार को भी तलाक लेने के लिए काफी माना.