Advertisement

अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे का दांव 'दोधारी तलवार'! सिर्फ फायदा ही नहीं, AAP को उठाने पड़ सकते हैं ये तीन जोखिम

केजरीवाल का उत्तराधिकारी वही होगा जो उनका वफादार हो, जिसकी निष्ठा और योग्यता पर उन्हें पूर्ण विश्वास हो. नया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की देखरेख में ही काम करेगा. इससे वह प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम होंगे.

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल. (Photo: X/@AAP) दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल. (Photo: X/@AAP)
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:57 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने राजनीतिक करियर के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. कथित दिल्ली शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत तो दी, लेकिन ऐसी शर्तों के साथ, जिसके कारण अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे पर विचार करने और एक विश्वसनीय उत्तराधिकारी नियुक्त करने पर मजबूर होना पड़ा. शीर्ष अदालत की जमानत शर्तों के मुताबिक वह मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जा सकते, दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते और न ही आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफा देने के इस कदम में रिस्क भी शामिल है, साथ ही उन्हें और उनकी पार्टी को इससे फायदा भी मिल सकता है.  

Advertisement

केजरीवाल का पसंदीदा होगा अगला CM!

केजरीवाल का उत्तराधिकारी वही होगा जो उनका वफादार हो, जिसकी निष्ठा और योग्यता पर उन्हें पूर्ण विश्वास हो. नया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की देखरेख में ही काम करेगा. इससे वह प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम होंगे. केजरीवाल जनता को यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश हुई, इसके बावजूद उन्होंने काम करना जारी रखा.

कई महत्वाकांक्षी योजनाओं में आएगी तेजी

दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले अरविंद केजरीवाल महिलाओं के लिए 1000 रुपये प्रति माह वाली अपनी योजना को जरूर लागू करवाना चाहेंगे. दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री जो भी बनेगा, वह उनके निर्देशों के तहत इस योजना पर तत्काल काम शुरू करेगा. यदि उपराज्यपाल (एलजी) की ओर से इस योजना के ​कार्यान्वयन में कोई अड़चन आती है, तो यह केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए एक मौका होगा. वे जनता के सामने कहेंगे कि केंद्र सरकार महिला विरोधी है और एलजी के माध्यम से 1000 रुपये प्रति माह वाली योजना को लागू नहीं होने दे रही. इस तरह चुनाव से पहले केजरीवाल जनता की सहानुभूति प्राप्त करना चाहेंगे.

Advertisement

बुलाया जा सकता है विशेष विधानसभा सत्र 

दिल्ली विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जा सकता है, जिसमें विश्वास प्रस्ताव पारित करके यह संदेश देने की कोशिश की जा सकती है कि AAP के सभी विधायक एकजुट हैं. विधानसभा का विशेष सत्र केजरीवाल के लिए एक मंच का काम करेगा, जहां वह अपने संबोधन में बीजेपी पर हमलावर दिख सकते हैं और भविष्य के रोडमैप को लेकर अपनी बात रख सकते हैं. यह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए एक माहौल तैयार करेगा. इस दौरान AAP सरकार मतदाताओं को लुभाने के लिए कुछ योजनाओं की घोषणा भी कर सकती है. 

केजरीवाल लेना चाहेंगे जनता की सहानुभूति

इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल को यह कहने का मौका मिलेगा कि उन्होंने पद की लालच में नैतिकता से समझौता नहीं किया. वह खुद को एक राजनीतिक शहीद के रूप में पेश करेंगे, जिसने सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद सीएम की कुर्सी छोड़ दी. वह अपनी इन बातों से मतदाताओं में खुद के लिए सहानुभूति पैदा करने की कोशिश करेंगे. हालांकि, इस्तीफे का यह दांव साहसी होने के साथ-साथ जोखिम भरा भी हो सकता है, जिसका असर दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों के राजनीतिक भविष्य पर पड़ेगा. यह रिस्क बहुआयामी है, जो पार्टी के आंतरिक ताने-बाने और बाहरी राजनीतिक चुनौतियों, दोनों को प्रभावित करता है.

Advertisement

हरियाणा चुनाव और AAP के सामने  चुनौती

तात्कालिक चुनौती हरियाणा में है. AAP राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. दिल्ली और पंजाब की तुलना में हरियाणा में पार्टी का संगठन कमजोर है. इसको ध्यान में रखते हुए AAP के लिए यह चुनाव एक कठिन चुनौती लगता है. जेल से रिहा होने के बाद यह केजरीवाल की पहली बड़ी राजनीतिक चुनौती है, और बहुत कुछ दांव पर लगा होगा. अपने गृह राज्य में चुनावी विफलता केजरीवाल के प्रभाव को काफी हद तक कमजोर कर सकती है. विपक्ष को भी तंज कसने का मौका मिलेगा. विशेष रूप से यह ध्यान में रखते हुए कि उनकी सहानुभूति की अपील लोकसभा चुनावों के दौरान विफल रही थी, जब AAP ने दिल्ली और हरियाणा दोनों जगह एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. 
 
दिल्ली चुनाव की टाइमिंग का भी है अहम रोल

दिल्ली में अलग तरह की चुनौतियां होंगी. केजरीवाल समझते हैं कि दिल्ली विधानसभा चुनाव का समय महत्वपूर्ण है. चुनाव में देरी से सहानुभूति का फैक्टर बेअसर हो सकता है. इसके अलावा, चाहे अगला मुख्यमंत्री कोई भी हो, परिणाम देने की जिम्मेदारी अंततः केजरीवाल पर ही आएगी. 
 
नए सीएम का उपराज्यपाल और केंद्र से रिश्ता

एक और महत्वपूर्ण जोखिम केजरीवाल के अलावा किसी और का मुख्यमंत्री पद पर बैठना है. भले ही सीएम पद के लिए चुने गए व्यक्ति पर केजरीवाल को भरोसा हो, लेकिन दिल्ली के जटिल सरकारी मॉडल के लिए उपराज्यपाल (एलजी) और केंद्र सरकार के साथ सहयोग की आवश्यकता होती है. इस बात की वास्तविक संभावना है कि केंद्र और एलजी नए सीएम के साथ अधिक सामंजस्यपूर्ण ढंग से काम कर सकते हैं. इससे विपक्ष को यह प्रचारित करने का मौका मिलेगा कि केजरीवाल की नेतृत्व शैली के कारण एलजी और सरकार में संघर्ष की स्थिति बनती थी. यह नैरेटिक केजरीवाल की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है और AAP की स्थिति को कमजोर कर सकता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement