Advertisement

प्रदूषण के चलते दिल्ली के निजी स्कूलों की आउटडोर एक्टिविटी बंद

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं.

निजी स्कूलों के खाली पड़े मैदान निजी स्कूलों के खाली पड़े मैदान
पंकज जैन/विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:17 PM IST

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए 200 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों ने बच्चों की आउट डोर एक्टिविटी बंद कर दी है. "फेडरेशन ऑफ पब्लिक स्कूल दिल्ली" के अध्यक्ष एमएस रावत ने बताया कि बच्चों की सेहत का ध्यान रखते हुए सुबह 11 बजे और शाम को 4 बजे के बाद किसी भी तरह की आउट डोर एक्टिविटी पर प्रतिबंध है. एमएस रावत के मुताबिक इस एडवाइजरी को दिल्ली के 225 प्राइवेट स्कूल में लागू किया गया है, जिसे प्रदूषण के घटते-बढ़ते स्तर के मुताबिक अमल में लाया जाता है.

Advertisement

एमएस रावत का कहना है कि स्कूलों में खेल, शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा है लेकिन सर्दियों में सुबह 11 बजे के पहले काफी प्रदूषण होता है, इस लिहाज से एडवाइजरी जारी की गई है. जिस दिन प्रदूषण ज्यादा है, सूरज भी नजर न आए उस दिन इनडोर एक्टिविटी कराई जाती है. न सुबह की प्रार्थना सभा और न ही गेम्स के लिए बच्चों को बाहर आने दिया जाता है.

'आजतक' की टीम ने पूर्वी दिल्ली के मयूर पब्लिक स्कूल का दौरा किया. स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर ने बातचीत के दौरान बताया कि बच्चों पर खेल के वक्त प्रदूषण का असर ज्यादा होता है. अगर सुबह के वक्त प्रदूषण स्तर अधिक है तो दोपहर में प्रदूषण का स्तर कम होने पर ही एक्टिविटी कराई जाती है. जब बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है तब बच्चों को आउट डोर एक्टिविटी में शामिल नहीं किया जाता है इनडोर गेम पर फोकस किया जाता है.

Advertisement

एमएस रावत ने बताया कि प्रदूषण के मुद्दे पर सरकार से प्राइवेट स्कूलों की अब तक बातचीत नहीं हुई है. हालांकि सरकार की तरफ से जब भी एडवाइजरी आती है तब उसका पालन किया जाता है. सरकार से अपील है कि वो प्राइवेट स्कूलों के साथ बैठक करें और प्रदूषण से स्कूली बच्चों को कैसे बचाया जाए इस पर चर्चा करें.

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी प्रदूषण को लेकर जागरूक नजर आए. 5वीं कक्षा में पढ़ने वाली भूमिका ने बताया कि घर में मम्मी-पापा ने मास्क पहनने की सलाह दी है. भूमिका बताती हैं कि उन्होंने इस साल पटाखे नहीं जलाए और सोसायटी में लोगों को पटाखे जलाने से भी रोका. वहीं 5वी में ही पढ़ने वाले आदित्य ने बताया कि मम्मी-पापा ने स्कूल में बाहर खेलने से मना किया. स्कूल ने एडवाइजरी जारी कर मास्क पहनने और आउटडोर में गेम न खेलने की सलाह दी है. आदित्य ने आगे कहा कि हमें प्रदूषण से निपटना है तो एक पटाखा जलाने की बजाय एक पेड़ लगाना चाहिए.

मयूर विहार पब्लिक स्कूल के 12वीं में पढ़ने वाली श्रुति को अस्थमा की बीमारी हैं. श्रुति बताती हैं कि जब प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है तो सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है. श्रुति को डॉक्टर ने मास्क पहनने की सलाह दी है. श्रुति का कहना है कि उन्हें बास्केट बॉल खेलना काफी पसंद है लेकिन वो सर्दियों में प्रदूषण की वजह से अक्सर प्रैक्टिस नहीं कर पाती हैं. श्रुति ने निराश होते हुए कहा कि इन दिनों युवा पीढ़ी प्रदूषण के बारे में नहीं सोचती, ये एक चिंताजनक है.  

Advertisement

आपको बता दें कि दिल्ली में हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ जाता है. साथ ही दिवाली के दौरान जलाए जाने वाले पटाखों की वजह से हवा कई गुना जहरीली हो जाती है. इसके अलावा पंजाब में पराली जलाए जाने का असर भी दिल्ली-एनसीआर में देखने मिल रहा है. हांलाकि हैरानी की बात यह है कि अब तक केंद्र और दिल्ली सरकार की तरफ से हेल्थ एडवाइजरी जारी नहीं की गई. ऐसे में प्राइवेट स्कूल प्रदूषण से निपटने के लिए खुद कदम उठा रहे हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement