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एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण पर जमकर फटकार लगाई है. एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को फटकार लगाते हुए पूछा कि यमुना में अमोनिया के लगातार बढ़े हुए स्तर के लिए हरियाणा जिम्मेदार कैसे है? एनजीटी जल बोर्ड के इस रवैये पर भी नाराज था कि अभी तक हलफनामा देकर उन्होंने कोर्ट को ये नहीं बताया है कि अमोनिया के स्तर को कम करने के लिए वो कर क्या रहे हैं. एनजीटी ने कहा कि यमुना नदी दिल्ली जैसे महानगर में एक नाले में तब्दील होकर रह गई है.
एनजीटी ने साफ साफ लफ्जों में जल बोर्ड से कहा कि वह केवल नदी में प्रदूषण को लेकर चिंतित है और वह दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे के मुद्दे पर नहीं जा रहा है. एनजीटी का सवाल था कि जल बोर्ड यमुना नदी को साफ करने के लिए आखिर कर क्या रहा है. एनजीटी ने कहा कि आप यहां-वहां की बातें क्यों कर रहे हैं. हम केवल यमुना में प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं. आप हमेशा एक नयी योजना के साथ आ जाते हैं. हम पूरी यमुना की बात कर रहे हैं न कि एक यमुना के अलग-अलग हिस्से की.
एनजीटी ने कहा कि आप चाहते हैं कि हरियाणा आपको ज्यादा पानी दे ताकि यमुना में प्रदूषण कम हो लेकिन बताइए कि आपने क्या किया है? क्या आपके इलाके में यमुना सीवर लाइन बन गई है. एक घंटे से ज्यादा देर तक कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान जल बोर्ड के वकील ने कहा कि हरियाणा को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह यमुना में ज्यादा पानी छोड़े और उसे कहा जाना चाहिए कि दिल्ली में आपूर्ति के लिए वो पानी प्यूरीफई करे.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में पेयजल की गंभीर समस्या है और हरियाणा या दिल्ली में यमुना नदी को प्रदूषित करने वाले उद्योगों को तुरंत निर्देश दिया जाना चाहिए. लेकिन हरियाणा सरकार के वकील ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि जल बोर्ड को आरोप-प्रत्यारोप में पड़ने के बजाए पानी को साफ करने की क्षमता बढ़ानी चाहिए. एनजीटी द्वारा मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी.