
दिल्ली शहर में दुर्गा पूजा के बाद इनका मूर्ति विसर्जन यमुना नदी में कर दिया जाता है. अमूमन सरकारें जनता से यह अपील करती हैं कि इको फ्रेंडली मूर्तियों का ही विसर्जन नदियों में किया जाए मगर सरकारों के इन आदेशों की कहीं पर भी पालन नहीं किया जाता है. इस तरह के बड़े त्योहारों से पहले सरकार तमाम दावे करती हैं कि नदियों के पानी को गंदा न किया जाए इसके लिए वह निश्चित त्योहारों पर टास्क फोर्स का गठन करेंगे और इसके अलावा लोगों को यह शिक्षा भी देंगी कि प्लास्टिक पॉलिथीन से बने पदार्थों का नदियों में विसर्जन ना किया जाए.
मगर त्योहार आते हैं और चले जाते हैं ना ही जनता मानती है और ना ही सरकार काम करती हैं. दिल्ली में बहने वाली यमुना नदी की रियलिटी चेक के लिए आज तक की टीम में जब जमुना के कई गांवों का दौरा किया तो इस स्थिति बद से बदतर नजर आई. यमुना के तमाम घाटों पर दुर्गा की केमिकल वाली मूर्तियों का विसर्जन किया गया था इसके अलावा वहां पर तमाम तरह की प्लास्टिक के पूजा के पदार्थ पढ़े थे जो वही नदियों में बहा दिए गए थे.
प्लास्टिक के पदार्थों का यमुना नदी में आस्था के नाम पर बहना जारी था मगर वहां पर कोई भी प्रशासन या शासकीय अमला नहीं था जो लोगों को ऐसा करने से रोक सके. जाहिर है हमारी पूजा कि आस्था की गंदगी का सारा बोझ नदियों पर पड़ता है और हर त्यौहार ये बोझ बढ़ता ही जाता है. ना सरकार नदी बचाने के लिये गम्भीर होती है और न ही जनता प्रदूषण न फ़ैलाने के लिए गम्भीर होती है.