सिंघु बॉर्डर में अपनी जिद पर अड़े किसानों ने अब ऐसे-ऐसे इंतजाम कर लिए हैं.. जिनके बारे में किसी ने सोचा तक नहीं था. यहां पर ऐसी कई मशीनें लगी हैं जिनमें रोज़ाना 2 हजार से ज्यादा कपड़े धुलते हैं. मशीने सुबह से शाम तक करीब 10 घंटे तक चलती हैं. इनके लिए जेनरेटर से बिजली और टैंकरों से पानी का बंदोबस्त किया जाता है. कपड़े लेने का सिस्टम ऐसा है कि उनके गुम होने या अदला-बदली होने की गुंजाइश कम है. लोग पॉलिथिन के पैकेट में अपने कपड़े अपना नाम और फोन नंबर लिख कर दे जाते हैं. इसी तरह कुछ दूसरी जगहों पर भी व़ॉशिंग मशीन लगाई गई हैं. यहां किसान खुद भी अपने कपड़े धो सकते हैं और दूसरों की मदद भी ले सकते हैं.