
मोरबी केबल ब्रिज हादसे का असर राज्य के दूसरे शहरों में भी देखने को मिल रहा है. बुधवार को सूरत के चल रहे मेले को बंद करा दिया गया. यह मेला बीते एक महीने से लगातार चल रहा था. दर्जनों झूले, सैकड़ों दुकानें यहां पर लगी हुई थीं. लेकिन अब पुलिस और प्रशासन के इस फैसले के बाद कई लोगों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा. मेले पर रोक लगने के बाद आयोजक चिराह भाई का दर्द साफ नजर आया.
चिराग ने कहा, ''हमारे पर मेला चालू रखने की परमिशन है. लेकिन पुलिस आई और मेला बंद करने की बात कही.'' जब उनसे पूछा गया कि ऐसा पुलिस ने क्यों किया. इस बात जबाव देते हुए चिराग भाई बोले, ''पुलिस ने मोरबी में हुए केबल ब्रिज हादसे का हवाला दिया है. उनके इस फैसले को मानना ही पड़ेगा, हम क्या कर सकते हैं.''
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पीएम मोदी ने स्वयं मोरबी आकर घटना स्थल का मुआयना किया. साथ ही उन्होंने अस्पताल में जाकर घायलों का हाल जाना. गुजरात सरकार द्वार मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपए का मुआवजा दिए जाने का घोषणा कर दी गई है. पीड़ित परिवारों का कहना है, ''इन रुपयों से क्या मरने वाले वापस आ जाएंगे ?''
...टेम्परेरी मरम्मत कर रही थी फर्म
मोरबी ब्रिज की देखरेख कर रहे ओवरा ग्रुप का का मोरबी डीएम को भेजा गया एक पत्र सामने आया है. पत्र से पता चला है कि फर्म पुल के रखरखाव के लिए परमानेंट कॉन्ट्रैक्ट चाहती थी. ग्रुप ने यह भी कहा था कि जब तक उन्हें परमानेंट कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिया जाता, तब तक वह पुल की टेम्परेरी मरम्मत करते रहेंगे. इससे पहले, नगर मुख्य अधिकारी संदीप सिंह ने इंडिया टुडे को बताया था कि ओरेवा ने अनुबंध के नियमों और समझौतों का उल्लंघन किया और नगर निकाय को सूचित किए बिना केवल पांच महीनों में पुल खोल दिया.