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पूजा खेडकर मामले के बाद गुजरात सरकार को DOPT का आदेश, राज्य के 5 IAS को देना होगा हेल्थ टेस्ट

पूजा खेडकर कांड के बाद अब केंद्र सरकार का DOPT (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) भी सतर्क हो गया है. पूजा खेडकर जैसे फर्जी अधिकारी दूसरे राज्यों में न हों, इसकी जांच करने की कवायद शुरू की गई है. देश के सभी राज्यों में किसी भी दिव्यांग अधिकारी की दिव्यांगता की जांच करने का निर्देश हर राज्य सरकार को दिया गया है.

बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर
ब्रिजेश दोशी
  • गांधीनगर,
  • 09 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 3:41 PM IST

महाराष्ट्र में बहुचर्चित पूजा खेडकर कांड के बाद अब केंद्र सरकार का DOPT (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) भी सतर्क हो गया है. पूजा खेडकर जैसे फर्जी अधिकारी दूसरे राज्यों में न हों, इसकी जांच करने की कवायद शुरू की गई है. देश के सभी राज्यों में किसी भी दिव्यांग अधिकारी की दिव्यांगता की जांच करने का निर्देश हर राज्य सरकार को दिया गया है. 

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5 आईएएस को देना होगा हेल्थ टेस्ट

सूत्रों की मानें तो यही आदेश गुजरात सरकार को भी मिला है, जिसके बाद गुजरात के पांच आईएएस अधिकारियों को हेल्थ टेस्ट देना पड़ सकता है. आने वाले दिनों में इन अधिकारियों के दिव्यांगता सर्टिफिकेट की जांच होगी. साथ ही उनकी वर्तमान स्थिति की भी जांच होगी.

जानकारी के मुताबिक गुजरात सरकार को मिले आदेश के बाद अब राज्य के 5 आईएएस, 2 आईपीएस और 1 आईएफएस अधिकारियों को हेल्थ टेस्ट देना होगा. पूजा खेडकर की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को UPSC से कहा कि 2 दिनों के भीतर उनकी नियुक्ति रद्द करने का आदेश उपलब्ध कराए. 

पूजा ने UPSC के फैसले को हाई कोर्ट में दी चुनौती
 
पूजा ने अपनी उम्मीदवारी रद्द किए जाने के UPSC के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच के समक्ष पूजा खेडकर की वकील इंदिरा जयसिंह ने प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में अजीब बात ये है कि पूजा की उम्मीदवारी रद्द करने का आदेश उन्हें आज तक नहीं सौंपा गया है, इस बारे में पूजा के पास सिर्फ प्रेस रिलीज है. 

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उन्होंने मांग की कि प्रेस रिलीज को रद्द किया जाना चाहिए. साथ ही मांग की कि कोर्ट UPSC को आदेश दे ताकि पूजा खेडकर उचित न्यायिक फोरम मे इसे चुनौती दे सकें. इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में कहा कि पूरा मामला मीडिया में उठाया जा रहा है, फिलहाल मेरी मांग यही है कि इस प्रेस विज्ञप्ति को रद्द करने और निरस्त करने का अदालत आदेश दे.

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