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हार्दिक के अनिश्चितकालीन अनशन पर ग्रहण, सरकार ने लगाई धारा 144

पाटीदार आंदोलन के दौरान एक बार अपने हाथ जला चुकी गुजरात सरकार इस बार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती. लिहाजा सरकार ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के अनिश्चितकालीन अनशन से पहले अहमदाबाद में 60 दिनों के लिए धारा 144 लगा दिया है.

पाटीदार नेता हार्दिक पटेल (फाइल फोटो) पाटीदार नेता हार्दिक पटेल (फाइल फोटो)
विवेक पाठक/गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 21 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST

पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की 25 अगस्त से शुरू होने वाले अनिश्चितकालीन अनशन पर ग्रहण लग गया है. सरकार से अपील के बावजूद हार्दिक पटेल को अहमदाबाद के निकोल इलाके में अनशन करने कि अनुमती नहीं दी जा रही है. हार्दिक पटेल के अनशन से ठीक पहले अहमदाबाद प्रशासन नें 60 दिनो के लिये धारा 144 लगा दी है.

इससे पहले जब हार्दिक पटेल अनुमती को लेकर एक दिन के उपवास पर बैठे थे, तब उन्हें अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की टीम ने उन्हीं के घर के बाहर से गिरफ्तार किया था. ऐसे में हार्दिक पटेल ने अब अपने उपवास के लिये गांधीनगर का सत्याग्राह मैदान गुजरात सरकार से मांगा था. लेकिन इसकी भी अनुमति ना दिये जाने पर हार्दिक पटेल ने घोषित किया कि वो अब अपने घर के मैदान में ही अनिश्चित कालीन अनशन पर बैठेंगे. तब पुलिस के दबाव से अनशन के लिये तैयार हो रहे पंडाल को ही हटवा दिया गया.

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वहीं हार्दिक के अनशन से पहले अहमदाबाद शहर में 60 दिनों के लिये धारा 144 लगा दी गई है, जिसके तहत 4 से ज्यादा लोग एक जगह इकट्ठा नहीं हो पाएंगे. बता दें कि पुलिस ने हार्दिक पटेल के साथी अल्पेश कथेरिया को दो साल पुराने राष्ट्रद्रोह के मामले में 19 अगस्त को गिरफ्तार कर 4 दिन की रिमांड पर लिया है. वहीं हार्दिक पटेल के दूसरे साथियों पर भी पुलिस लगातार निगाहें बनाई हुई है.

गौरतलब है कि, इस बार हार्दिक पटेल को लेकर गुजरात सरकार कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहती. पुलिस और सरकार की इस सख्ती पर पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा है कि पुलिस अंग्रेजों की तरह बर्ताव और सरकार के इशारों पर काम कर रही है, हमारे 6 लोगों को बेरहमी से मारा है, वो घर पर भी अनशन करने कि इजाजत नहीं दे रही है.  

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साफ है कि पिछली बार हार्दिक की क्रांति रैली के वक्त जिस तरह पाटीदार सड़कों पर उतरे थें और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था, साथ ही 14 लोगों की जान चली गई थी. ऐसे में सरकार इस बार पहले से ही कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए अनशन की इजाजत नहीं दे रही है.  

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