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Ahmedabad serial blast: फांसी की सजा पाए गुनहगारों में से किसी ने फंड इकट्ठा किया तो किसी ने साइकिल पर रखा था बम

2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम ब्लास्ट की घटना को 49 में से 38 दोषियों को फांसी की सजा जबकि 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. सभी दोषियों के पास अलग-अलग जिम्मेदारी थी. विस्फोट कराने से लेकर कैंप में ट्रैनिंग देने और जिहादी भाषण देने तक की जिम्मेदारी बंटी हुई थी.

2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में शुक्रवार को दोषियों को सजा सुनाई गई. -फाइल फोटो 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में शुक्रवार को दोषियों को सजा सुनाई गई. -फाइल फोटो
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 19 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:16 AM IST
  • 49 में से 38 दोषियों को फांसी की सजा
  • 11 दोषियों को अजीवन कारावास की सजा

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस (Ahmedabad serial blast case) में जिन 38 गुनहगारों को फांसी की सजा सुनाई गई है, उनमें से सभी को अलग-अलग काम सौंपा गया था. किसी गुनहगार के पास फंड इकट्ठा करने का जिम्मा था तो किसी के पास बम को साइकिल पर रखने का जिम्मा था. इसके अलावा बस में बम प्लांट करने और जिहादी भाषण देने का जिम्मा भी बांटा गया था.

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गुनहगार जाहिद कुतबुद्दीन शेख और सफदर उर्फ हुसैनभाई उर्फ इकबाल जहरुल हुसैन नागोरी के पास स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के लिए फंड इकट्ठा करने का जिम्मा था. 

गुनहगार इकबाल कसम शेख के पास ठक्करनगर में साइकिल पर बम रखने की जिम्मेदारी थी. इकबाल कसम शेख ने एएमटीएस की बस नंबर 150 में ब्लास्ट किया था. गुनहगार मुफ्ती अबूबशर उर्फ अब्दुल रशीद उर्फ अब्दुल्ला अबुबकर शेख ने ब्लास्ट के लिए मीटिंग्स को अरेंज किया था और ट्रेनिंग सेंट में जिहादी भाषण दिए थे.

वहीं, गुनहगार मोहम्मद इस्माइल उर्फ अब्दुल राजिक उर्फ मुसाफ उर्फ फुरकान महमद इसाक मंसूरी के पास मणिनगर के एलजी अस्पताल में बम का सामन तथा गैस भरी बोतल से भरी कार को रखने का जिम्मा था. जबकि अफजल उर्फ अफसर मुतल्लिब उस्मानी के पास सिविल अस्पताल के ट्रॉमा वार्ड के पास विस्फोटक से भरी हुई कार को ब्लास्ट करने की जिम्मेदारी थी. 

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गुनहगार कयामुद्दीन उर्फ रिजवान उर्फ अशफाक सरफुद्दीन कापडिया के पास झूठे पहचान पत्र से मोबाइल सिम कार्ड लेने की जिम्मेदारी थी. उसने अपने सभी साथियों के लिए फर्जी सिमकार्ड लिया था. वहीं, सरफुद्दीन उर्फ सरफु के पास टाइमर बम बनाने की जिम्मेदारी थी. सरफुद्दीन ने ही टाइमर बम के लिए टाइमर चिप बनाई, बम ब्लास्ट करवाया. 

इसके अलावा गुनहगार सैफुर रहेमान उर्फ सैफू उर्फ सैफ अब्दुल रहेमान के पास जिम्मेदारी थी कि वह अलग-अलग इलाकों में बम प्लांट करने से पहले रेकी करे. उसने रेकी भी की थी. फिर बम से लदे साइकिल को नारोल सर्कल इलाके में रख दिया था.

अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में स्पेशल कोर्ट ने दोषियों को सजा सुना दी है. कोर्ट ने 49 में से 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है, जबकि 11 को अजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. इतिहास में ये पहली बार है जब एक साथ इतने सारे दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. 

26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर पहला बम धमाका हुआ था. ये धमाका मणिनगर में हुआ था. मणिनगर उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसक्षा क्षेत्र था. इसके बाद 70 मिनट तक 20 और बम धमाके हुए थे. इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. 

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