Advertisement

गुजरात दंगा: ATS का बड़ा एक्शन, तीस्ता सीतलवाड़ और एक पूर्व IPS गिरफ्तार

सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को गुजरात दंगे पर एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई की थी. इस दौरान कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के पिछले रिकॉर्ड और भूमिका का जिक्र भी एसआईटी की रिपोर्ट और गुजरात सरकार की दलीलों के हवाले से किया था.

तीस्ता सीतलवाड़ के घर पर पहुंची ATS तीस्ता सीतलवाड़ के घर पर पहुंची ATS
गोपी घांघर/सौरभ वक्तानिया
  • अहमदाबाद,
  • 25 जून 2022,
  • अपडेटेड 9:08 PM IST
  • जाकिया जाफरी का इस्तेमाल करने का है आरोप
  • 2002 में गुजरात दंगे मारे गए थे जाकिया के पति
  • मामले में झूठे सबूत देने पर तीन के खिलाफ FIR

गुजरात दंगा मामले में झूठी जानकारी देने के आरोप में शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ समेत दो पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया. अहमदाबाद शहर की पुलिस अपराध शाखा के इंस्पेक्टर दर्शनसिंह बी बराड की शिकायत पर तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

इसके बाद गुजरात एटीएस ने मुंबई के जुहू पहुंचकर तीस्ता सीतलवाड़ को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया. वहीं अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार को अरेस्ट कर लिया है. अब दोनों को रविवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा.

Advertisement

एफआईआर के मुताबिक आरोपियों ने जकिया जाफरी के जरिए कोर्ट में कई याचिकाएं लगाईं और एसआईटी प्रमुख और दूसरे आयोग को गलत जानकारियां दीं.

तीस्ता के स्टाफ ने जांच टीम का रास्ता रोका

जानकारी के मुताबिक गुजरात एटीएस की दो टीमें मुंबई पहुंचीं. एक टीम सांताक्रूज पुलिस स्टेशन गई तो दूसरी टीम मुंबई पुलिस के साथ तीस्ता सीतलवाड़ के जुहू स्थित घर गई. इसके बाद टीम उन्हें हिरासत में लेकर सांताक्रूज थाने पहुंच गई.

जानकारी के मुताबिक जब तीस्ता को टीम ने जीप में बैठाने की कोशिश की तो उसके ऑफिस के कर्मचारियों और समर्थकों की जांच टीम से बहस हुई. उन्होंने तीस्ता को जीप से ले जाने के लिए रोकने की भी कोशिश की.

मुंबई पुलिस ने गुजरात पुलिस के दिए गए सभी दस्तावेजों की जांच की. इसके बाद ATS उन्हें अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के ऑफिस लेकर पहुंच गई.

Advertisement

पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार अरेस्ट

वहीं अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया है. मालूम हो कि गुजरात दंगा मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में मुख्यमंत्री की मीटिंग में शामिल होने के दावेदारों के बयान मामले को राजनीतिक रूप से सनसनी पैदा करने वाले थे.

दरअसल संजीव भट्ट, हिरेन पंड्या और आरबी श्रीकुमार ने SIT के सामने बयान दिया था जो कि निराधार और झूठे साबित हुए, क्योंकि जांच में पता चला कि ये लोग तो लॉ एंड ऑर्डर की समीक्षा के लिए बुलाई गई उस मीटिंग में शामिल ही नहीं हुए थे.

आईपीसी की इन छह धाराओं में दर्ज हुआ केस

468- धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी करना.

471- जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करना.

194- दोष साबित करने के इरादे से झूठे सबूत देना.

212- अपराधी को शरण देना.

218- पब्लिक सर्वेंट द्वारा किसी को सजा या संपत्ति जब्ती से बचाने के इरादे से गलत रिकॉर्ड तैयार करना.

211- खुद को चोट पहुंचाकर हमले का झूठा आरोप लगाना.

तीस्ता के बारे में छानबीन की जरूरत: SC

24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगे पर एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका को रद्द कर दिया था. इस याचिका को जाकिया जाफरी ने दाखिल किया था.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका रद्द करते हुए कहा था तीस्ता सीतलवाड़ के बारे में और छानबीन की जरूरत है, क्योंकि तीस्ता इस मामले में जकिया जाफरी की भावनाओं का इस्तेमाल गोपनीय ढंग से अपने स्वार्थ के लिए कर रही थी.

अपने हित के लिए तीस्ता ने चीजों को गढ़ा

कोर्ट ने कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ इसीलिए इस मामले में लगातार घुसी रहीं, क्योंकि जकिया अहसान जाफरी इस पूरे मामले में असली पीड़ित हैं.

तीस्ता अपने हिसाब से उनको इस मुकदमे में मदद करने के बहाने उनको नियंत्रित कर रही थीं, जबकि वो अपने हित साधने की गरज से बदले की भावना रखते हुए इस मुकदमे में न केवल दिलचस्पी ले रही थीं बल्कि अपने मनमुताबिक चीजें भी गढ़ रही थीं. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया था.

दिसंबर 2021 से हो रही थी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सात महीने पहले 9 दिसंबर 2021 को जाकिया जाफरी की याचिका पर मैराथन सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. गुजरात दंगों की जांच के लिए बनी एसआईटी ने तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे अब के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी.

एहसान जाफरी की दंगों में हुई थी मौत

2002 में गुजरात दंगों के दौरान जाकिया जाफरी के पति तब कांग्रेस से विधायक रहे एहसान जाफरी को दंगाई भीड़ ने मार डाला था. गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में एहसान जाफरी भी मारे गए थे. एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने SIT की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी.

Advertisement

एसआईटी की रिपोर्ट में प्रदेश के उच्च पदों पर रहे लोगों को क्लीन चिट दी गई थी. एसआईटी ने राज्य के उच्च पदाधिकारियों की ओर से गोधरा ट्रेन अग्निकांड और उसके बाद हुए दंगे भड़काने में किसी भी साजिश को नकार दिया था. साल 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने SIT की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया की शिकायत खारिज कर दी थी. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement